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छत्तीसगढ़ खनन मामले में तीन गिरफ़्तार, 4.5 करोड़ कैश जब्त

PUBLISHED BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : October 14, 2022, 11:03 pm IST
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छत्तीसगढ़ खनन मामले में तीन गिरफ़्तार, 4.5 करोड़ कैश जब्त

बरमाद कैश.

इंडिया न्यूज़ (रायपुर, ED arrests 3 in Chhattisgarh mining case; seizes Rs 4.5 cr cash): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ खनन मामले में एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। ईडी ने 6.5 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, सोने के आभूषण, सर्राफा और अन्य कीमती सामान जब्त किया है।

इस मामले में 11 अक्टूबर को, ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर एक साथ तलाशी ली और विभिन्न संदिग्धों के पास से आपत्तिजनक सबूत और बेहिसाब नकदी और आभूषण जब्त किए।

ईडी ने एक बयान में कहा कि “ईडी ने एक बड़े घोटाले से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत तलाशी अभियान चलाया और गिरफ्तारियां कीं। छत्तीसगढ़ राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जांच ईडी कर रही है। इस मामले में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों के जुड़े होने का शक है।

गिरफ्तार लोगों में आईएएस समीर विश्नोई, इंद्रमणि ग्रुप के सुनील कुमार अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी शामिल हैं।
ईडी ने कहा कि “इस घोटाले के मुख्य सरगना सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने कोयले पर अवैध लेवी वसूलने की समानांतर व्यवस्था चलाने के लिए आपराधिक साजिश रची है और अवैध और बेहिसाब नकदी की वसूली कर रहे हैं। अपराध की आय का इस्तेमाल बेनामी संपत्तियों में निवेश करने, वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देने और राज्य के राजनीतिक लोगों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।”

अधिकारियों पर कार्रवाई नही करने का आरोप 

ईडी ने इस अवैध उगाही और सबूतों को नष्ट करने के लिए इस साजिश के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। इसमें कहा गया है, “ईडी मुख्य सरगना सहित इस साजिश के सभी पहलुओं की जांच कर रहा है, वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका जिन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नही की और अपराध की अवैध आय के लाभार्थियों की भूमिका निभाई।”

IAS ranu sahu

आईएएस अधिकारी रानू साहू.

इस मामले का एक आरोपी सूर्यकांत तिवारी फरार हो गया है। रानू साहू IAS (कलेक्टर रायगढ़) भी अपने सरकारी आवास से गायब पाई गईं। ईडी की जांच से पता चला है कि अवैध कोयला लेवी की जबरन वसूली तब तेज हो गई जब निदेशक, भूविज्ञान और खनन विभाग ने 15 जुलाई, 2020 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें खदानों से उपयोगकर्ताओं तक कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट की पहले की ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित किया गया था। मैनुअल एनओसी जारी किया गया। इस संबंध में कोई एसओपी या प्रक्रिया परिचालित नहीं की गई थी।

खनन कंपनी द्वारा खरीदार के पक्ष में एक कोयला वितरण आदेश (सीडीओ) जारी किया जाता है और खरीदारों को खनन कंपनी के साथ 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की ईएमडी जमा करने की आवश्यकता होती है और 45 दिनों के भीतर कोयले को उठाना भी आवश्यक होता है।

नियमों का भारी उल्लंघन किया गया 

ईडी ने अपने बयान में बताया “नई अधिसूचना ने खनन कंपनियों को ई-परमिट जारी करने के लिए एनओसी के लिए खनन अधिकारी या डीडीएम के पास आवेदन करने के लिए मजबूर किया। एनओसी के बिना, कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट खनन अधिकारी द्वारा गैर-निष्पादन के लिए अग्रणी जारी नहीं किया जा सकता है।”

“सीडीओ (नीलामी के बाद खनन कंपनी द्वारा जारी कोयला वितरण आदेश)। यदि सीडीओ को 45 दिनों के भीतर निष्पादित नहीं किया जाता है, तो यह समाप्त हो जाता है और खरीदार द्वारा 500 रुपये प्रति टन का भुगतान किया गया ईएमडी खनन कंपनी द्वारा जब्त कर लिया जाता है। इस प्रकार, यह है कोयले के खरीदार {सामान्य रूप से स्टील प्लांट / कैप्टिव पावर प्लांट के मालिक} जिनकी कोयले की आपूर्ति बाधित होती है और उनकी ईएमडी जब्त कर ली जाती है, अगर एनओसी में देरी या इनकार किया जाता है।” ईडी ने कहा

suryakant tiwari

इस मामले के एक आरोपी सूर्यकांत तिवारी के बड़े राजनेताओं से रिश्ते बताए जाते है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से साथ उसकी तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया).

ईडी के सर्वेक्षण से पता चला कि खाली छोड़े गए इन खनन विभाग में कोई विवेकपूर्ण दस्तावेजीकरण प्रणाली नहीं थी। कई जगहों पर हस्ताक्षर गायब थे। नोट शीट गायब हैं। इसी नाम से पूछताछ की जाती है और कलेक्टर/डीएमओ की मर्जी से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं।

तीस हज़ार से ज्यादा एनओसी जारी किए गए 

ईडी के अनुसार “15 जुलाई, 2022 से बिना किसी एसओपी के 30,000 से अधिक एनओसी जारी किए गए हैं। आवक और जावक रजिस्टर नहीं बनाए गए थे। अधिकारियों की भूमिका पर कोई स्पष्टता नहीं है। ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम आदि जैसे कई विवरण खाली हैं।”

ईडी के आरोपों के अनुसार “सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व वाले कार्टेल ने बहुत वरिष्ठ अधिकारियों की सहायता से रंगदारी का एक नेटवर्क बनाया, जिसके द्वारा कोयला के प्रत्येक खरीदार या ट्रांसपोर्टर को पहले डीएम कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने से पहले 25 रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ता था। वे ऐसे पुरुषों को रखते थे जो पैसा इकट्ठा करते थे और ले जाते थे और सरगनाओं, कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ आईएएस-आईपीएस अधिकारियों और राजनेताओं के बीच कारनामों को साझा करते थे। ऐसा अनुमान है इससे प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये उत्पन्न होते थे।”

कांग्रेस ने ईडी के दुरूपयोग का आरोप लगाया

तलाशी व जांच के दौरान लक्ष्मीकांत तिवारी के पास से डेढ़ करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई। उसने स्वीकार किया है कि वह रोजाना 1-2 करोड़ रंगदारी वसूल करता था। इस रैकेट में कोयला के बड़े कारोबारी इंद्रमणि ग्रुप के सुनील कुमार अग्रवाल को सूर्यकांत तिवारी का बड़ा बिजनेस पार्टनर पाया गया था।

2009 बैच के आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और उनकी पत्नी के पास से 47 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी और 4 किलो सोने के जेवर बरामद हुए। तीनों व्यक्तियों को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया और रायपुर पीएमएलए विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने 21 अक्टूबर तक आठ दिनों की ईडी कस्टडी दी है।

11 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर ईडी के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए छापेमारी को बदले की द्वेष की भावना से की गई कार्रवाई बताया था। वही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.

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