हिंदूओं की शादियों में कई तरह के रिवाज निभाए जाते है। कई रीति रिवाज के साथ शादी सम्पन्न होती है। इन्हीं में से एक रिवाज विदाई में दुल्हन के चावल फेंकने की भी आती है। आपको बता दे इसके पीछे कुछ खास मान्यताएं जुड़ी हैं जो समृद्धि का कारक है।
- शादी में विदाई के दौरान दुल्हन घर की दहलीज पार करती है तो वह कुछ चावल पीछे की ओर फेंकती है। शास्त्रों में शादी के इस रिवाज को बहुत ही शुभ माना गया है।
- शास्त्रों में चावल को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। दुल्हन चावल के जरिए अपने परिवार के खुशहाल रहने की कामना करती है।
- बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं, मान्यता है कि शादी के बाद जब वह घर छोड़ती है तो पीछे की ओर चावल फेंकती है तो घर में सदा मां लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन-दौलत की कमी नहीं होती।
- दुल्हन जब ये रस्म निभाती है तो मायके वाले इन चावलों को अपनी झोली में इक्ट्ठा करते हैं। बेटी के ससुराज जाने के बाद वह इसे सहजकर रखते हैं। इन्हें उन्नति का कारक माना जाता है।
- मान्यताओं के अनुसार दुल्हन को ये रस्म पांच बार निभाती है, इस दौरान उसे मुड़कर देखने की मनाही होती है। कहते हैं इन चावलों के जरिए वह परिवार को दुआएं देकर जाती है।
- बेटियां जहां रहती है वहां लक्ष्मी का वास होता है। कहते हैं इस रस्म को मायके वालों पर बुरी नजर को दूर रखने के मकसद से भी किया जाता है।
- आपको बता दे चावल से जुड़ी एक रस्म सुसराल में भी निभाई जाती है, जब पहली बार दुल्हन का गृह प्रवेश होता है. इस दौरान वह चावल से भरा कलश अपने दाएं पैरों से गिराती है मान्यता है दुल्हन के ऐसा करने पर चावल के रूप में जीवनभर के लिए घर में सुख-समृद्धि स्थिर हो जाती है।
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