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India News (इंडिया न्यूज),G20 News: जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन का शानदार आगाज रहा। इस खास मौके पर जी20 समूह ने बीते शनिवार यानि 9 सितंबर को व्यक्तियों, धार्मिक प्रतीकों और पवित्र पुस्तकों के खिलाफ धार्मिक घृणा के सभी कृत्यों की कड़ी से कड़ी आलोचना की। देश के लिए बहुत खास पल है, क्योंकि भारत पहली बार जी20 की मेजबानी कर रहा है। बता दें कि पहले दिन के बैठक में इस समूह के नेताओं ने दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार किया। इस घोषणा पत्र के तहत धर्म या आस्था की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार पर जोर दिया गया।
जानकारी के अनुसार घोषणा पत्र में कहा गया, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/77/318, विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, संवाद और सहिष्णुता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता पर ध्यान देते हैं। ”
आगे कहा गया, ”हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि धर्म या आस्था की स्वतंत्रता, राय या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा का अधिकार और साहचर्य की स्वतंत्रता का अधिकार एक दूसरे पर आश्रित, अंतर-संबंधित और पारस्परिक रूप से मजबूत हैं और उस भूमिका पर जोर देते हैं ये अधिकार धर्म या आस्था के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में निभाई जा सकती है।’’
जी20 समूहों के द्वारा अपने संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया कि , ‘‘इस संबंध में हम धार्मिक प्रतीकों और पवित्र पुस्तकों सहित घरेलू कानूनी ढांचे के प्रति पूर्वाग्रह के बिना व्यक्तियों के खिलाफ धार्मिक घृणा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं।’’
बैठक के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि, ‘‘भारत आस्था, आध्यात्मिकता और परंपराओं की विविधताओं वाला देश है। दुनिया के कई प्रमुख धर्मों ने यहां जन्म लिया और दुनिया के हर धर्म को यह सम्मान मिला है। ’’ ‘‘लोकतंत्र की जननी होने के नाते संवाद और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में हमारा विश्वास अनादि काल से अटूट रहा है। हमारा वैश्विक आचरण ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मूलभूत सिद्धांत में निहित है, जिसका अर्थ है ‘विश्व एक परिवार है’।
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