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India News (इंडिया न्यूज़), Same-Sex Marriage Montroversy: देश में सेक्स मैरिज को लोग अब धीरे-धीरे सामान्य मानने लगे हैं। ऐसा ही सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हुए हमे कोई न कोई ऐसा पोस्ट मिल ही जाता है। जिसमें दो सेम सेक्स के कपल अपने शादी की फोटो पोस्ट किए हों या अपने शादी का अनाउंस कर रहे हों। वहीं इसी को लेकर खबर यह सामने आई है कि सेम सेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (17 अक्टूबर) को अहम फैसला सुना सकता है। बताया जा रहा है कि कोर्ट सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुना सकता है।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को डिक्रिमिनलाइज कर दिया गया था। यानी की भारत में अब समलैंगिक संबंध को अपराध नहीं मान सकते हैं। लेकिन अभी भारत में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में इन याचिकाओं में अब स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट समेत विवाह से जुड़े कई कानूनी प्रावधानों को चुनौती देते हुए समलैंगिकों को विवाह की अनुमति देने की मांग की गई है।
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई अलग-अलग अदालतों में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को लिए याचिकाएं दायर की गई थी। इन याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का निर्देश जारी करने की मांग हुई थी। बता दें कि पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग दो याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग को लेकर केंद्र से जवाब मांगा था। इससे पहले 25 नवंबर को भी सुप्रीम कोर्ट दो अलग-अलग समलैंगिक जोड़ों की याचिकाओं पर भी केंद्र को नोटिस जारी की थी। इन जोड़ों ने अपनी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की थी। इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक साथ अपने पास ट्रांसफर कर लिया था।
बता दें कि, केंद्र सरकार शुरू से ही इस मांग को लेकर विरोध करती रही है। सरकार ने कहा कि ये न केवल देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है साथ ही इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों 160 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी। वहीं सुनवाई के दौरान पीठ ने एक बार यहां तक कहा कि बिना कानूनी मान्यता के ही सरकार इन लोगों को राहत देने के लिए क्या कर सकती है? यानी की बैंक अकाउंट, विरासत, बीमा बच्चा गोद लेने आदि के लेकर सरकार संसद में क्या कर सकती है? सरकार ने यह भी कहा था कि वो कैबिनेट सचिव की निगरानी में विशेषज्ञों की समिति बनाकर समलैंगिकों की समस्याओं पर विचार करने को तैयार है।
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