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इंडिया न्यूज़: (George Soros questioning PM and Adani) सुप्रीम कोर्ट में अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुनवाई हुई है। कोर्ट की ओर से अडानी मामले में कमेटी बनाने का फैसला लिया गया है साथ ही इसकी नियुक्ति से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला भी सुरक्षित कर लिया है। इस दौरान सोलिसीटर जनरल ने कमेटी के सदस्यों के नाम के सुझाव को लेकर जजों को सीलबंद लिफाफा सौंपा है तो वहीं SC की ओर से केंद्र के सभी सुझावों को खारिज कर दिया गया है।
केंद्र की ओर से पैनल गठित करने पर सीलबंद लिफाफे में सुझाव देने को कहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता चाहता है। शीर्ष न्यायालय हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट के मामले की सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़ (DY Chandrachud), न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (PS Narasimha) और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला (JB Pardiwala) की पीठ ने कहा कि वह निवेशकों के हितों में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखना चाहती है तथा वह सीलबंद लिफाफे में केंद्र सरकार के सुझाव को स्वीकार नहीं करेगी। पीठ की ओर से ये भी कहा गया है ‘‘हम सीलबंद लिफाफे में आपके सुझावों को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं।’’
अडानी ग्रुप के गिरते हुए शेयर के बीच अब अमेरिका के अरबपति जॉर्ज सोरोस ने भी सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि गौतम अडानी की वजह से कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इससे नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही उनकी सरकार की पकड़ भी कमजोर पड़ सकती है। इसके लिए उन्हें काफी सवालों का जवाब भी देना पड़ सकता है। इसमें निवेशक और कुछ सांसद भी शामिल हैं।
जॉर्ज सोरोस अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का सबसे बड़े समर्थक हैं, वहीं फॉर्ब्स के मुताबिक, सोरोस ने अपनी आधी से ज्यादा दौलत भी दान कर दी है। एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने पेट पालने के लिए कुली और वेटर का काम भी किया है।
आपको बता दें कि अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की ओर से किए गए सर्वे के बाद से ही अडानी ग्रुप पर एक अलग ही प्रेशर देखा जा रहा है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के ऊपर एकाउंटिंग धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाया गया था। हालांकि, इस पर सफाई देते हुए अडानी समूह ने इसे आधारहीन बताया था। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप को काफी नुकसान का सामना भी करना पड़ा था।
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