India News (इंडिया न्यूज),Parliament Special Session: 18 से 22 सितंबर को होने वाली पांच दिवसीय संसद का विशेष सत्र यानी आज से शुरू हो रहा है। हालांकि, संविधान में संसद के विशेष सत्र शब्द का कोई जिक्र नहीं है। इसे सरकारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले ‘विशेष सत्र’ को अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार बुलाया जाता है। अनुच्छेद 85(1) के तहत बाकी सत्र भी बुलाए जाते हैं। इस विशेष सत्र के पहले उपराष्ट्रपति धनखड़ के द्वारा 17 सितंबर को नए संसद भवन के गज द्वार पर राष्ट्रध्वज फहराया गया।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह देशवासियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत युग परिवर्तन का साक्षी बन रहा है। दुनिया भारत की ताकत, शक्ति और योगदान को पूरी तरह से पहचानती है। इस समारोह में प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल और अर्जुन राम मेघवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी मौजूद रहे। काफी देर से आमंत्रण मिलने पर निराशा जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
आपको बता दें कि सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा होगी। इस दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक संसदीय यात्रा पर चर्चा होगी। सवाल यह है कि संसद के विशेष सत्र की चर्चा क्यों हो रही है? इस सत्र में क्या खास होने वाला है आइए जानते हैं…
संसद के विशेष सत्र की चर्चा क्यों हो रही है?
दरअसल, 31 अगस्त को केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की थी। केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर पोस्ट में ये जानकारी देते हुए कहा था कि संसद के विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। इसके बाद ही एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता सहित कई अहम विधेयकों को लेकर अटकलें शुरू हो गईं। 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले पांच दिवसीय सत्र में पहले दिन को छोड़कर बाकी दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी।
संसद के कितने सत्र होते हैं?
एक वर्ष में सामान्यत: लोक सभा के तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं। पहला संसद का बजट सत्र जो किसी वर्ष में फरवरी से मई महीने के दौरान चलता है। वहीं, दूसरा मानसून सत्र होता है जिसकी अवधि जुलाई से अगस्त के बीच होती है। साल का अंत में शीतकालीन सत्र होता है जो नवम्बर से दिसम्बर के बीच चलता है।
क्या होता है विशेष सत्र?
भारतीय संविधान में संसद के विशेष सत्र शब्द का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि, सरकारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विशेष सत्र को अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार बुलाया जाता है। जरूरत पड़ने पर देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है और सांसदों को राष्ट्रपति के नाम पर बुलाया जाता है। केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की और मंजूरी भी ले ली।
मोदी सरकार में कितने विशेष सत्र हुए?
हालांकि, अभी तक मोदी सरकार की शासनकाल में केवल एक बार विशेष सत्र बुलाया गया। जिसे 30 जून 2017 को सरकार ने जीएसटी को लागू करने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में बुलाया था। वहीं, 18 से 22 सितंबर तक जिस विशेष सत्र की आयोजन किया गया वह मोदी सरकार का दूसरा सत्र होगा।
इस बार क्या होगा खास?
सरकार ने बुधवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को ‘संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 साल की संसदीय यात्रा’ पर चर्चा होगी। और संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों पर चर्चा की जाएगी।
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