India News (इंडिया न्यूज़), India-Canada Tension: भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकियों को लेकर टेंशन का माहौल जारी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। जिसके बाद भारत ने कनाडा के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया। वहीं भारत सरकार का कहना है कि कनाडा इन आतंकियों को शरण दे रहा है। जिसे लेकर कई बार सबूत भी पेश किया गया है।

  • कई कनाडाई नागरिकों का प्रतिबंधित संस्थानों से जुडें होने की ख़बर
  • ट्रूडो सरकार परवोट बैंक की राजनीति का आरोप

ट्रूडो सरकार पर आरोप

इसी बीच भारतीय खुफिया विभाग ने खुलासा करते हुए कनाडा में सक्रिय खालिस्तान आतंकी नेटवर्क को लेकर डोजियर जारी किया है। जिसमें कई कनाडाई नागरिकों को प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) से जुड़े होने की बात कही गई है। वहीं कई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के खुफिया विभाग ने कई बार कनाडा सरकार को खालिस्तानियों की जानकारी दी है, लेकिन कनाडा सरकार द्वारा इसे लेकर कोई एक्शन नहीं लिया गया। वहीं ट्रूडो सरकार पर आरोप यह भी है कि वो हमेशा वोट बैंक की राजनीति के लिए खालिस्तानियों का समर्थन करते रहे हैं।

इन नामों पर चर्चा

गुरजीत सिंह चीमा

भारतीय खुफिया विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2017 में भारत से आए कनाडाई नागरिक गुरजीत सिंह चीमा जो की मूल रुप से पंजाब का रहने वाला है, वो आईएसवाईएफ और केएलएफ का सदस्य है। गुरजीत सिंह चीमा टोरंटो में ‘सिंह खालसा सेवा क्लब’ से जुड़ा है। फिलहाल गुरजीत ब्रैम्पटन, ओंटारियो में रहता है।

गुरप्रीत सिंह बरार

जारी किए गए डोजियर में गुरप्रीत सिंह बरार का नाम भी शामिल है। गुरप्रीत सिंह बरार 38 साल का है। जो कि ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रहता है। वहीं गुरप्रीत सिंह बरार पर खालसा क्लब से जुड़े होने का आरोप है। साथ ही गुरप्रीत सिंह पर आरोप है कि मार्च 2016 में अपनी भारत यात्रा के दौरान, उसने लोगों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया था।

गुरजिंदर सिंह पन्नू

वहीं डोजियर में गुरजिंदर सिंह पन्नू का नाम भी शामिल है। गुरजिंदर सिंह पन्नू टोरंटो में ‘सिंह खालसा सेवा क्लब’ से जुड़ा है। साथ ही आईएसवाईएफ और केएलएफ का सदस्य के रूप में काम कर रहा है। पन्नू पर आरोप है कि वो मार्च 2017 में भारत में ISYF मॉड्यूल सदस्यों को लोकल हथियार खरीदने और उनकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए फंड मुहैया कराया था।

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