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इंडिया न्यूज (India News),India-China:भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका अपनी पहली राजकीय यात्रा पर गए थे। जहां प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के साथ कुछ महत्वपूर्ण सौदों पर समझौते किए। जिसमें सैन्य विमानों को शक्ति देने के लिए भारत में जेट इंजन का संयुक्त उत्पादन और सशस्त्र ड्रोन पर एक सौदा शामिल है। जिसके बाद शायद बात चीन को रास नहीं आ रही है और चीन लगातार इसपे अपनी प्रतिक्रियाएं देने में लगा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुए सौदों के बाद ऐसा लग रहा है कि चीन को मिर्ची लग गई है। तभी तो बौखला कर बयान जारी कर रहा है। बता दें कि, चीन ने सोमवार को बयान जारी कर रहा है। बता दें कि,चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री और जो बाइडेन के बीच हुए समझौते के बाद कहा कि, दो देशों के बीच सैन्य सहयोग से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता कमजोर नहीं होनी चाहिए। किसी रक्षा सौदे से किसी तीसरे पक्ष के हितों को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। भारत अमेरिका के बीच सहयोग से क्षेत्रीय शांति पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
मिली जानकारी के अनुसार जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस ने घोषणा की है कि, उसने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए)-एमके-द्वितीय तेजस के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता किया है। साथ ही भारत ने जनरल एटॉमिक्स से सशस्त्र रीपर ड्रोन खरीदने की घोषणा की। ड्रोन से भारत की खुफिया निगरानी और क्षमताओं को बढ़ेगी।
बता दें कि, एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे। इनमें से 14 नौसेना और आठ-आठ वायुसेना और सेना को मिलेंगे।
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