इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : देश में पहली बार प्राइवेट स्पेस कंपनी “स्काईरूट” ने शुक्रवार 18 नवंबर, को अपना पहला रॉकेट विक्रम-एस का प्रक्षेपण कर एक इतिहास बना दिया है। आपको बता दें, इस मिशन का नाम ‘प्रारंभ’ रखा गया है। जानकारी हो, विक्रम-एस रॉकेट ने श्रीहरिकोटा में इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.30 बजे उड़ान भरी। रॉकेट, आवाज की गति से पांच गुना अधिक स्पीड से अंतरिक्ष की ओर गया। चार साल पुरानी कंपनी स्काईरूट के सीईओ और सह-संस्थापक पवन कुमार चांदना ने बताया कि, यह एक टेस्ट फ्लाइट है। इसरो ने इसकी उड़ान के लिए लॉन्च विंडो तय किया था। ज्ञात हो, प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर ‘कलाम-80’ रखा गया है।
मशहूर भारतीय वैज्ञानिक और इसरो संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर इस रॉकेट का नाम दिया गया है। रॉकेट विक्रम-एस के साथ दो देसी और एक विदेशी पेलोड्स भी जा रहे हैं। छह मीटर ऊंचा यह रॉकेट दुनिया का पहला ऑल कंपोजिट रॉकेट है। इसमें थ्रीडी- प्रिटेंड सॉलिड थ्रस्टर्स लगे हैं, ताकि उसकी स्पिन कैपिबिलिटी को संभाला जा सके।
आंध्र प्रदेश: श्रीहरिकोटा में भारत का पहला निजी रॉकेट 'विक्रम-एस' का प्रक्षेपण हुआ। यह स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया है जिसके मिशन का नाम 'प्रारंभ' रखा गया है। विक्रम-एस रॉकेट ने श्रीहरिकोटा में #ISRO के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। pic.twitter.com/C3CsLcmDgt
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 18, 2022
जानकारी हो, स्काईरूट के सीईओ पवन चांदना ने बताया कि, स्काईरूट देश की पहली निजी स्पेस कंपनी है जिसने यह सफलता हासिल की है। इसकी सफलता के साथ ही भारत निजी स्पेस कंपनी के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा। यह रॉकेट पूरी तरह से कार्बन फाइबर से बना है।
आपको बता दें, विक्रम-एस यह सिंगल स्टेज का सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है। इस लॉन्चिंग में आम ईंधन के बजाय लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन का प्रयोग किया गया है। सस्ता होने के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त भी है।
INSPACe के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने कहा कि, मुझे मिशन फर्स्ट स्काईरूट एयरोस्पेस मिशन की शुरुआत के सफल समापन की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। यह भारत के निजी क्षेत्र के लिए नई शुरूआत है जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं और एक ऐतिहासिक क्षण हैं।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहाकि, यह भारत के स्पेस इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए एक बड़ा कदम है और विश्व समूह के समुदाय में एक सीमावर्ती राष्ट्र के रूप में भी उभर रहा है। यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
आपको बता दें, हैदराबाद स्थित रॉकेट स्टार्टअप की स्थापना जून 2018 में पवन कुमार चंदना और नागा भारत डाक ने की थी। अब तक, कंपनी ने 526 करोड़ रुपए जुटाए हैं और इसमें लगभग 200 कर्मचारी हैं। इसका 545 किलोग्राम, छह मीटर लंबा रॉकेट स्पेस किड्ज इंडिया, बाजूमक आर्मेनिया और एन-स्पेस टेक इंडिया के तीन उपग्रहों को ले जाएगा। लिफ्टऑफ के बाद 25 सेकंड में और 17.9 किमी की ऊंचाई पर रॉकेट का इंजन जल जाएगा। रॉकेट 81.5 किमी की ऊंचाई पर अपना पेलोड निकालेगा।
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.