बिजनेस डेस्क/नई दिल्ली (India Q3 GDP: According to data GDP is 4.4% and GVA is 4.6%) : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तीमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2022 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 की Q3 की विकास दर जुलाई-सितंबर में 6.3 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत हो गई है।
जारी आंकड़ो के अनुसार देश की अर्थव्यव्स्था के गिरने का मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का खराब प्रदर्शन करना है। इसके अलावा उच्च मुद्रास्फीति, कमजोर मांग, ग्लोबल चुनौतियां, वैश्विक मंदी के खतरे को भी कारण बताया जा रहा है। एनएसओ ने यह भी अनुमान लगाया है कि इस वित्त वर्ष तक भारत की जीडीपी 7% तक रही सकती है। जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही के बाद से यह सबसे धीमा है।
दिसंबर 2022 की तिमाही में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) की वृद्धि 4.6% रही, जो बताता है कि कुल सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में शुद्ध करों का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। मिंट अखबार से प्रभुदास लीलाधर पीएमएस में क्वांट मैक्रो स्ट्रैटेजिस्ट रितिका छाबड़ा ने कहा, “Q3 जीडीपी विकास दर 4.4% पर अपेक्षित लाइनों पर है। विकास की गति में कमी अनुकूल आधार प्रभाव के लुप्त होने, उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के कारण दबी हुई मांग में कमी और विनिर्माण क्षेत्रों में संकुचन के कारण है।”
जीडीपी उन उत्पादों और सेवाओं के कुल मूल्य को मापता है जो देश निर्मित या वितरित करता है, जीवीए उत्पाद के मूल्य को बढ़ाने के लिए उसके मूल्य में वृद्धि को मापता है।
जीडीपी उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण या मांग के नजरिए से दर्शाता है, जबकि जीवीए उत्पादकों के नजरिए या आपूर्ति पक्ष से आर्थिक गतिविधि की स्थिति को दर्शाता है।
जीवीए हर सेक्टर का ब्रेकडाउन प्रदान करता है, नीति निर्माताओं को यह तय करने में मदद करता है कि किन क्षेत्रों को प्रोत्साहन या प्रोत्साहन की आवश्यकता है। लेकिन देशव्यापी विश्लेषण और विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं की आय की तुलना के लिए जीडीपी का उपयोग किया जाता है।
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