India News ( इंडिया न्यूज़ ) India US Relations : अमेरिका और भारत अपने सैन्य संबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका दौरे पर कई बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इसमें सैन्य हार्डवेयरों के सह-उत्पादन से लेकर लड़ाकू जेट टेक्नोलॉजी में भागीदारी जैसे बड़े हथियार सौदे शामिल हैं। अमेरिका ने इस तरह से रक्षा सौदे सिर्फ चुनिंदा देशों के साथ ही किए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की इस हफ्ते नई दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक संभावित रक्षा रोड मैप को तैयार किया है। इसका अर्थ है कि अब भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील तेजी से फाइनल हो सकेगी।
भारत-रूस संबंधों के जानकारों का मानना है कि पश्चिमी देश रूस की आलोचना करने से भारत के इनकार से चिंतित हैं। उनका मानना है कि भारत का यह रुख वैश्विक स्तर पर रूस के लिए वरदान बना हुआ है। ऐसे में पश्चिमी देशों के पास भारत के साथ रक्षा संबंध बढ़ाने का यह सुनहरा मौका है। पश्चिम का मानना है कि अगर भारत रूस पर कम निर्भर हो जाता है, तो वह अपनी विदेश नीति के मामले में अपनी प्राथमिकताओं को भी बदल देगा। अन्य विश्लेषकों का तर्क है कि मास्को पर भारतीय निर्भरता को कम करना तभी संभव है जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी सैन्य शक्तियां दिल्ली के साथ रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए अपनी पारंपरिक अनिच्छा को छोड़ दें।
दोनों देश एक नई पहल इंडस एक्स को भी अंतिम रूप दे रहे हैं। इसके जरिए भारत और अमेरिका निजी रक्षा फर्मों के बीच स्टार्टअप जैसे काम के लिए फंड और जरूरी सुविधाए मुहैया कराएंगे। जब पीएम मोदी इस महीने के अंत में वाशिंगटन का दौरा करेंगे तो इस संबंध में कई हाई प्रोफाइल रक्षा समझौतों की उम्मीद की जा रही है। इसमें भारत में संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने और इंडस एक्स का आधिकारिक रूप से अनावरण करने की संभावित योजना भी शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह से समझौतों की सीरीज भारत को धीरे-धीरे सैन्य हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स के लिए रूस पर निर्भरता को खत्म कर देगा।
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