बिज़नेस डेस्क/नई दिल्ली (Infrastructure will match that of the US by 2024): केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत का हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर अगले साल 2024 तक अमेरिका के बराबर हो जाएगा। गिडकरी ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए देश में ‘मिशन मोड’ पर काम चल रहा है जिसमें ग्रीन एक्सप्रेसवे और रेल ओवर ब्रिज का निर्माण शामिल है। परिवहन मंत्री ने कहा कि इस साल 16,000 करोड़ रुपए की लागत से रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है, जिसे पांच साल में बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपए किया जाएगा।

  • जल्द मिल सकता है ‘भारतमाला 2’ प्रोजेक्ट को मंजूरी
  • क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट ?
  • 93% पूरा हुआ कैलाश मानसरोवर प्रोजेक्ट

जल्द मिल सकता है ‘भारतमाला 2’ प्रोजेक्ट को मंजूरी

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश को ‘भारतमाला 2’ प्रोजेक्ट के लिए कैबिनेट से जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना है। गिडकरी ने कहा कि भारतमाला प्रोजेक्ट के मंजूरी मिलते ही देश देश में एक मजबूत बुनियादी ढांचे की जरूरत पूरी होगी। गडकरी ने सामाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “मुझे विश्वास है कि 2024 तक भारत के राजमार्ग अमेरिका के बराबर हो जाएंगे। भारत के कोने-कोने में हरित एक्सप्रेसवे के नेटवर्क सहित एक मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए समयबद्ध मिशन मोड में काम चल रहा है।”

क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट ?

आपको बता दें कि भारतमाला प्रोजेक्ट एक केंद्रीय वित्तपोषित सड़क एवं राजमार्ग विकास परियोजना है जिसका मकसद देश में सड़कों, राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का एक मजबूत नेटवर्क बनाना है। इस प्रोजेक्ट के दूसरे फेज को ही भारतमाला 2 प्रोजेक्ट कहा जाता है। यह प्रोजेक्ट का लक्ष्य देश के 580 से ज्यादा जिलों को जोड़ने वाला लगभग 35,000 किलोमीटर नेशनल हाईवे कॉरिडोर बनाना है।

93% पूरा हुआ कैलाश मानसरोवर प्रोजेक्ट

नितिन गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के रास्ते कैलाश मानसरोवर हाईवे प्रोजेक्ट का काम 93% पूरा हो चुका है। इस परियोजना के पूरा होने के साथ, कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्री उच्च ऊंचाई वाले दुर्गम इलाके के माध्यम से कठिन यात्रा से बच सकते हैं। गडकरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा की अवधि कई दिनों तक कम हो जाएगी। वर्तमान में कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए यात्रीयों को सिक्कीम या नेपाल के रास्ते जाना पड़ता है, जिसमें दो से तीन हफ्ते का समय लगता है।

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