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इंडिया न्यूज़ (रांची, Jharkhand illegal Mining Case): झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें लगातार बढ़ती हुई दिख रही हैं। अवैध खनन मामले में सीएम सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस मामले को लेकर अब प्रवर्तन निदेशालय यानि का ED पूछताछ के लिए सीएम हेमंत सोरेन को समन जारी किया है। ईडी ने सीएम सोरेन को 3 नवंबर को रांची स्थित ईडी ऑफिस में पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा है।
झारखंड मुक्ति मोर्चे के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल से ईडी ने इस मामले में पूछताछ की थी। रवि केजरीवाल के खिलाफ झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने कुछ महीने पहले थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि रवि केजरीवाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
झारखण्ड में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को मिले नोटिस पर कहा कि “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को अगर #ED ने बुलाया है तो वह यूँ ही नहीं है। इन्होंने पैसे और दौलत की हवस में पूरे राज्य को गुंडे, मवालियों, दलालों, बिचौलियों और मुठठी भर चोर-बेईमान अफ़सरों के हवाले कर खुद सिर्फ़ लूट का माल बटोरने और खपाने के रास्ते खोजने का काम किया।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को अगर #ED ने बुलाया है तो वह यूँ ही नहीं है।
इन्होंने पैसे और दौलत की हवस में पूरे राज्य को गुंडे, मवालियों, दलालों, बिचौलियों और मुठठी भर चोर-बेईमान अफ़सरों के हवाले कर खुद सिर्फ़ लूट का माल बटोरने और खपाने के रास्ते खोजने का काम किया है।1/2
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 2, 2022
“हेमंत जी शायद यह भूल गये कि जनादेश का मतलब लूट का लाइसेंस नहीं है और वोट से लूट के पाप को कवर नहीं किया जा सकता। आपने लूटा है तो सजा भी भुगतने के लिये तैयार रहिये। देश का क़ानून अपना काम कर रहा है।आप बेक़सूर होंगे तो बेदाग़ निकल जाइयेगा। वैसे पब्लिक सब देख समझ रही है” बाबूलाल ने कहा
उन्होंने आगे कहा कि “झारखंड कीर्तिमान बनाने वालों का प्रदेश है। हेमंत सोरेन देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री बनेंगे जो घपले-घोटाले और लूट के आरोप में मुख्यमंत्री पद पर रहते #ED के यहाँ पूछताछ के लिये पेश होंगे। भगवान न करे कि ये जेल से ही राज्य चलाने वाला मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड भी झारखंड के नाम कर दें।”
वही झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा “हेमंत सरकार के 32 महीने के शासन काल में झारखंड भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है. भ्रष्टाचार को संरक्षण देने में मुख्यमंत्री की सीधी भूमिका है, उन्होंने स्वयं अपने नाम पर खनिज खदान का आवंटन लेने का काम किया और यह सब उन्होंने सिर्फ अपने ही नाम पर नहीं बल्कि अपने करीबियों के भी।”
हेमंत सरकार के 32 महीने के शासन काल में झारखंड भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है.
भ्रष्टाचार को संरक्षण देने में मुख्यमंत्री की सीधी भूमिका है, उन्होंने स्वयं अपने नाम पर खनिज खदान का आवंटन लेने का काम किया और यह सब उन्होंने सिर्फ अपने ही नाम पर नहीं बल्कि अपने करीबियों के भी.
— Deepak Prakash (@dprakashbjp) November 2, 2022
श्री प्रकाश ने आगे कहा “अभी तक जितने भी रेड्स हुए हैं झारखंड में उनमें से एक भी केस ऐसा नहीं है जहां उन्हें कुछ भी नहीं मिला हो. ED कहीं से खाली हाथ नहीं लौट रही है बल्कि करोड़ों करोड़ मुख्यमंत्री के करीबियों के घरों से बरामद किए हैं जिससे जाहिर है की दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है।”
झारखण्ड के खूंटी जिले में मनरेगा के कामों में 18.06 करोड़ रुपये का घोटाला अप्रैल 2008 से मार्च 2011 के बीच हुआ था है। झारखण्ड की निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल खूंटी में फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच उपायुक्त थीं। उनके उपायुक्त रहते हुए खूंटी में यह घोटाला हुआ था।
राज्य विधानसभा में मामला उठाए जाने के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच करवाई थी, खूंटी जिला परिषद् के तत्कालीन कनीय अभियंता (जेई) राम विनोद प्रसाद सिन्हा, तत्कालीन सहायक अभियंता राजेंद्र कुमार जैन, कार्यपालक अभियंता जयकिशोर चौधरी व खूंटी विशेष प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता शशि प्रकाश के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। तब पूजा सिंघल को क्लीन चीट दे दी गई थी।
इसी तरह चतरा में 2007-08 के दौरान मनरेगा के फंड में गड़बड़ी का मामला सामने आया। दो एनजीओ को छह करोड़ रुपये देने में अनियमितताएं सामने आई थी। इसके बाद झारखण्ड के पलामू जिले के कठौटिया माइंस में खनन के लिए 83 एकड़ जमीन एक निजी कंपनी को दी गई, आरोप लगा की इस कंपनी को गलत तरीके से वन भूमि दी गई। इन दोनों मामलों के समय पूजा सिंघल जिला कलेक्टर थीं।
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार दुबे द्वारा झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई, झारखण्ड उच्च न्यायालय में न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सीबीआई को घोटाले की जांच करने के साथ-साथ पिछले एक दशक से लंबित मामलों की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया।
इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला आने के बाद, ईडी ने इस मामले में केस दर्ज किया, खूंटी, चतरा और पलामू तीनों गड़बड़ियों में ईडी ने केस दर्ज किया, ईडी से पूछताछ में डिप्टी इंजीनियर राम बिनोद कुमार सिन्हा ने कबूल किया कि वह पूजा सिंघल को कमीशन की राशि देता था।
इसी साल 6 मई को पूजा सिंघल और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक झा के पास से करीब 20 करोड़ नकद बरामद किया गया था, तब पूजा सिंघल झारखण्ड की खान एवं भूविज्ञान विभाग की सचिव एवं झारखण्ड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड की प्रबंध निदेशक थी।
ईडी को करीब 100 करोड़ के अवैध खनन घोटाले का पता चला, ईडी ने कहा कि तलाशी और विभिन्न व्यक्तियों के बयानों के बाद एकत्र किए गए सबूतों सहित जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों से पता चला है कि जब्त नकदी का बड़ा हिस्सा अवैध खनन से प्राप्त हुआ था और वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनेताओं से संबंधित था। ईडी ने झारखण्ड उच्च न्यायालय में दायर अपने शपथपत्र में कहा था की वह पूजा सिंघल के पूरे कार्यकाल की जांच करेगा।
अवैध खनन मामले में आठ जुलाई को ईडी ने झारखण्ड के साहेबगंज जिले के 21 ठिकानों पर छापेमारी की थी, इस दौरान पंकज मिश्रा, दाहू यादव और उनके सहयोगियों के यहाँ से 5.34 करोड़ रुपये नगद और करीब 50 बैंक खातों में पड़े 13.32 करोड़ रुपये भी जब्त किए गए थे, इसके बाद 19 जुलाई को पंकज मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया, पंकज मिश्रा झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि है।
26 जुलाई को कार्रवाई करते हुए ईडी ने साहेबगंज जिले में एक मालवाहक जहाज भी जब्त किया था, इसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपये है, यह जहाज राजेश यादव उर्फ़ दाहू यादव द्वारा संचालित किया जा रहा था, ईडी के अधिकारियो द्वारा कहा गया की यह जहाज साहेबगंज के सुकरगढ़ घाट पर अवैध तरीके से संचालित किया जा रहा था, इसका इस्तेमाल अवैध खनन के पत्थर ले जाने के लिए किया जा रहा था।
अवैध खनन मामले में हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषके प्रसाद उर्फ़ पिंटू से भी पूछताछ हो चुकी है।
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