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Joshimath Sinking
चामौली।Joshimath Sinking: उत्तराखंड के लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। इन दिनों जोशीमठ में भू-धंसाव से सौंकड़ो लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है। घरों में दरारें आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने एहतियाती तौर पर सभी से प्रभावित घरों को छोड़ने की अपील कर चुकें हैं। बीते बुधवार तक प्रशासन ने 600 से ज्यादा घरों को चिन्हित किया है जिसमें भू-धंसाव के कारण दरारें पाई गई है। पीड़ित लोगों को राज्य सरकार के द्वारा राहत शिविर केंद्र में रखा गया है। लेकिन इस बीच खराब मौसम के कारण उत्तराखंड के कई इलाकों में भारी बर्फबारी देखने को मिली है। जिसके स्थानीय लोगों की परेशानियां और बढ़ गईं है।
#WATCH | Uttarakhand: Auli in Chamoli district received heavy snowfall last night. Crisis-hit Joshimath's Sunil ward also received snowfall. pic.twitter.com/4jPVLBOWoG
— ANI (@ANI) January 12, 2023
इस कड़कड़ाती ठंड में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें अबतक स्थानीय प्रशासन की ओर से राहत सुविधाएं नहीं पहुंचाई गई है। ऐसे में इस भीषण ठंड के बीच बर्फबारी लोगों के लिए बड़ी परेशानियों का सबब बन रही है।
आपको बता दें कि जोशीमठ में भूस्खलन के खतरे के बीच लोगों का कहना है कि घर में पडी दरारों को देखकर डर लगता है कि वो दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं। सिंहधर वार्ड की निवासी पुष्पा वर्मा ने बताया कि “मैं रातभर अपने घर में पड़ी दरारों को देखती रहती हूं और ये डर लगा रहता है कि वो बढ़ रही हैं। हमारा घर कभी भी गिर सकता है, इस चिंता में मैं मुश्किल से ही सो पाती हूं। हमेशा लगने वाला ये डर भू-धंसाव से भी बदतर है। मैं राहत शिविर जाना चाहती हैं, लेकिन प्रशासन ने अभी तक उनके घर को असुरक्षित घोषित नहीं किया है।”
पिछलें दिनों से जोशीमठ में जो कुछ हो रहा है वह अब स्थानीय लोगों से सहा नहीं जा रहा है। अपने बनाए घरों से उन्हें मजबूरन निकलना पड़ा। अब वो सभी बेघर हो चुके हैं। राज्य सरकारें भी लगातार स्थिति से निपटने का प्रयास कर रही है। लेकिन इन सबके बावजूद लोगों की भावनाएं अपने घरों के साथ जुड़ी है जो रह-रह कर उन्हें भावुक होने पर मजबूर कर दे रही है। लोगों का कहना है कि सरकार कुछ ही कर दें लेकिन उनकों वापस उनका घर नहीं दे सकती। स्थानीय लोगों का मानना है कि आज जो कुछ भी जोशीमठ में हो रहा है उसका जिम्मेदार राज्य और केंद्र सरकार है। उन्होंने कहा समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। अब हमलोगों को बेघर होना पड़ रहा है।
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