India News (इंडिया न्यूज़), Yogi Adityanath’s Gorakhpur story: योगी आदित्यनाथ का ऐसे जगह से जुड़े है, जो ना ही अयोध्या है और ना ही मथुरा बल्कि वह गोरखपुर है। वही गोरखपुर जहां से सीएम योगी 5 बार चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। गोरखपुर और सीएम का संबंध कोई नया नहीं है, बल्कि काफी पुराना है। लेकिन क्या आपको इनके इस सफर के बारे में पता है। अगर नहीं पता तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे की योगी ने गोरखपुर का सफर कैसे और क्यों किया?
यह बात उस समय की है कि जब एबीवीपी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर एवं गोरखपुर के सांसद ब्रह्मलीन अवेधनाथ जो मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में पहुंचे हुए थे।
जिसमे योगी आदित्यनाथ वक्ता के रूप में वहां उपस्थित थे। जब उन्होंने अपना पूरा किया उसके बाद उनके संबोधन से अवेधनाथ काफी प्रभावित हुए। जब कार्यक्रम खत्म हुआ तो उन्होंने योगी से उनके बारे में पूछा और जब पता चला योगी उत्तराखंड के रहने वाले हैं। तब उनके प्रति अवेधनाथ का लगाव और बढ़ गया। उन दोनो की कई बार आपस मे मुलाकात हुई ।
एक बार ऐसा समझ आया जब महंत अवेधनाथ की तबीयत खराब हुई। जिसके बाद योगी उनसे मिलने पहुंचे जिसके दौरान महंत की सेवा भी उन्होंने की। जिससे प्रभावित होकर महंत ने योगी को अपने पास योगी आदित्यनाथ को उन्होंने गोरखपुर बुलाया और उनसे कहा कि यदि “देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते हो तो सांसारिक मोह को त्याग दो” ऐसा सुन योगी ने उनकी बात पर मनन करते हुए उस समय अपने गांव चले गए।
योगी उस समय एमएससी (प्रथम वर्ष) की पढ़ाई कर रहे थे। तभी योगी फैसला किया की वह सांसारिक सुखों का त्याग करेंगे और अपने माता-पिता से यह कह कर चले गए की उन्हें नौकरी करनी है। जिसके बाद वह महंत अवेधनाथ से मीले और उनसे कहा कि वह अब योग धारण कर यही रहेंगे। जिसके बाद उनके जीवन परिवर्तन की आगे बढ़ने लगी और वह कुछ दिनों बाद योग की दीक्षा लेकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बन गए।
गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बनने के बाद योगी गोरखपुर मंदिर के कई अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होना शुरू कर दिये। फिर 1998 में जब लोकसभा चुनाव का ऐलान किया गया तो महंत अवेद्यनाथ ने योगी का नाम आगे किया और राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया गया। जिसके बाद योगी ने नामांकन कराया और राजनीतिक सफर मे कदम रखा।
अपने पहले चुनाव में 25 हजार वोट के अंतर से उन्हें जीत मिली और दिल्ली पहुंच गए। उस समय उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। उस उम्र में वह सांसद बने। फिर 1999 में चुनाव लड़े और वह जीत गए और वह आगे बढ़ते गए फिलहाल वह यूपी के सीएम के पद पर हैं।
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