संबंधित खबरें
MP Student Protest: 70 घंटे बाद खत्म हुआ छात्रों का प्रदर्शन, आज करेंगे CM मुलाकात, सभी मांगे होंगी पूरी
MP Weather Update: 25 दिसंबर से बढ़ेगा ठंड का कहर, IMD ने बारिश, कोहरे और शीतलहर को लेकर जारी किया अलर्ट
MP Crime News: 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर किसान से मांगे 10 हजार रुपये, जालसाज की चलाकी उसी पर पड़ी भारी
सोशल मीडिया पर भूलकर भी ना करे ये काम! दिल्ली पुलिस का बड़ा एक्शन, 55 लोग गिरफ्तार, जानें वजह
up crime news: नशे में धूत पति, रोज करता था गंदा काम … पत्नी ने तीन बच्चों के साथ मिलकर उठा लिया बड़ा कदम
Landslide in Pithoragarh: अचानक से सड़क पर टूटकर गिरा पहाड़, दर्जनों वाहन फंसे, खौफनाक वीडियो आया सामने
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Know the joshimath crisis With ISRO Photo): जोशीमठ, जिसे प्राचीन काल में ज्योतीरमठ कहा गया है। जो बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थों का प्रवेश द्वार है, वह जोशीमठ आज भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। भू धंसान को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कुछ तस्वीरें जारी की है।
इन तस्वीरों में जोशीमठ में भू-धंसाव की अतीत और वर्तमान स्थिति के बारे में बताया गया है। इसरो ने 5 सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए जमीन धंसने की पूरी घटना समझाई है, आइये आपको बताते है-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जोशीमठ (Joshimath) भू-धंसाव की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीरों में दिखाया गया है कि जोशीमठ शहर किस तेजी से धंस रहा है। यह सभी तस्वीरें काटरेसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं।
सैटेलाइट तस्वीर में जो लाल रंग की धारियां दिख रहीं है, वे सड़कें हैं. वहीं नीले रंग का जो बैकग्राउंड है, वह जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है। तस्वीरों में जोशीमठ के मध्य भाग यानी शहर के सेंटर को लाल रंग के गोले से दशार्या गया है, जिससे पता चलता है कि ये हिस्सा सबसे ज्यादा भू-धंसाव से प्रभावित है। इस धंसाव का ऊपर हिस्सा जोशीमठ औली रोड पर मौजूद है। औली रोड भी धंसने वाला है।
सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए एनआरएससी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 तक जमीन धंसने का मामला धीमा था। इन सात महीनों में जोशीमठ 8.9 सेंटीमीटर धंसा है। लेकिन 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक यानी 12 दिनों जमीन धंसने की तीव्रता 5.4 सेंटीमीटर हो गई। यानी की 12 दिनों जोशीमठ को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है.
इसरो से जारी हुई जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरों में साफ-साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ का कौन सा हिस्सा धंस रहा है या धंसने वाला है। इसरो ने तस्वीर पर जो पीले रंग का मार्क किया है, वह सेंसेटिव जोन है। इस पीले घेरे में पूरा जोशीमठ शहर आता है। इसरो ने आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर को भी मार्क किया है.
तस्वीरों में देखा जा सकता है कि सेना का हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है। सबसे ज्यादा धंसाव जोशीमठ-औली रोड के पास 2180 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। वैज्ञानिक भाषा में इसे धंसाव का क्राउन कहा जाता है। जोशीमठ का निचला हिस्सा अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर बसा हुआ है, यह भी धंस रहा है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.