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India News (इंडिया न्यूज़), Prakash Singh Badal, दिल्ली: पंजाब की राजनीति में सबसे लंबे समय तक काम करने वाले प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को रात करीब 8 बजकर 28 मिनट पर निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते मोहाली के फोर्साइट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बादल देश के सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक थे, वह पंजाब के पांचवे सीएम थे।
पक्ष और विपक्ष दोनों के नेता उनका सम्मान करते थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके पैर छूते थे।
जब 2019 में लोकसभा चुनाव थे। तब वाराणसी में नामांकन पत्र दाखिल करने से ठीक पहले नरेंद्र मोदी ने कलेक्ट्रेट में शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के पैर छुए थे। तब बादल ने मोदी की तारीफ में कहा था, ‘भारत की जनता को सोचना है कि हमारा पीएम कौन होना चाहिए? मोदी साहब से किसकी तुलना की जा सकती है? वर्तमाम गांधी और मोदी के बीच हाथी और घोड़े इतना अंतर है। पीएम ने जब पैर छुए तो अमित शाह, नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, सुषमा स्वराज, रामविलास पासवान भी वहां मौजूद थे।’
इसके बाद मई 2019 में 17वीं लोकसभा के निर्वाचित होने के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों ने सेंट्रल हॉल में औपचारिक रूप से पीएम नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना। उस वक्त जब तमाम नेता मोदी को बधाई दे रहे थे, तभी प्रकाश सिंह बादल भी बधाई देने पहुंचे, तभी पीएम मोदी ने पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।
बात अक्टूबर 2015 की है। जयप्रकाश नारायण की 113वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने पंजाब के तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल को ‘भारत के नेल्सन मंडेला’ की संज्ञा दी थी। मोदी ने कहा था, ‘बादल भारत के नेल्सन मंडेला हैं। बादल साहब जैसे लोगों का एकमात्र अपराध यह था कि उनके राजनीतिक विचार सत्ता में बैठे लोगों से अलग थे।’
इसके बाद इस तारीफ के जवाब में बादल ने कहा था- कांग्रेस के शासन ने देश का भला नहीं किया लेकिन अब मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार लाकर देश ने बड़ा बदलाव किया है। यह सरकार देश के प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, जिससे जेपी जैसे महान राष्ट्रीय नायकों के सपनों को पूरा किया जा सके।
2013 में प्रकाश सिंह बादल ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल एग्रीकल्चर के उद्घाटन सत्र में नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा था, ‘मोदीजी, अपने आप को केवल गुजरात तक सीमित न समझें, आपको वाइब्रेंट गुजरात नहीं लिखना चाहिए, आपको वाइब्रेंट इंडिया लिखना चाहिए, आगे बढ़ें… गुजरात वह राज्य है जिसने महात्मा गांधी को जन्म दिया, जिसने हमें सरदार पटेल दिया और अब इसने हमारे देश को ‘सरदार’ मोदी दिया है।’
वहीं, बादल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- श्री प्रकाश सिंह बादल के निधन से बेहद दुखी हूं। वह भारतीय राजनीति की एक विशाल हस्ती थे, और एक उल्लेखनीय राजनेता थे जिन्होंने हमारे देश में अत्यधिक योगदान दिया। उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य का साथ दिया।
अस्पताल ने कहा था कि अगर वरिष्ठ शिअद नेता की सेहत में अगले कुछ दिनों में धीरे-धीरे सुधार होता रहा तो उन्हें निजी वार्ड में स्थानांतरित किया जा सकता है। पिछले हफ्ते, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बादल के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
गैस्ट्राइटिस और सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें पिछले साल जून में भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें फरवरी 2022 में पोस्ट-कोविड स्वास्थ्य जांच के लिए मोहाली के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था। बादल पिछले साल जनवरी में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे, जब उन्हें लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वह 10 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके थे। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल उनके बेटे हैं। प्रकाश सिंह बादल ने 2022 में पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वह चुनाव लड़ने के बाद सबसे उम्रदराज उम्मीदवार थे। इसके बाद उन्होंने एकतरफा राजनीति से दूरी बना ली थी।
बादल ने राजनीति की शुरुआत साल 1947 में की थी। उन्होंने सरपंच से लेकर सीएम तक का सफर तय किया था। उन्होंने 1957 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद 1969 में उन्होंने चुनाव जीता। इसके बाद 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में वे पंजाब के सीएम रहे। सांसद भी चुने गए। बादल 1996 से 2008 तक अकाली दल के अध्यक्ष थे।
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब में मालवा के पास एक छोटे से गांव अबुल खुराना में हुआ था। वह एक जाट सिख थे। उन्होंने 1959 में सुरिंदर कौर से शादी की। बादल के दो बच्चे सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर हैं। बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का लंबी बीमारी के कारण 2011 में निधन हो गया था।
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