Good Friday 2023: हर साल की तरह इस साल भी ईस्टर संडे को बाद पहले फ्राइडे में गुड फ्राइडे को सेलिब्रेट किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन जीसस क्राइस्ट यानी कि यीशु को सूली पर लटका दिया गया था। ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इसे काला दिवस भी माना जाता है। इस दिवस पर यीशु की महानता, प्रेम, त्याग से जोड़े उदाहरण दिए जाते है इसलिए इस दिन को ग्रेट फ्राइडे, होली डे और ब्लैक डे के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन लोग चर्च में यीशु के लिए प्रार्थना करते हैं। आज के इस मौके पर हम आपको गुड फ्राइडे से जुड़ी कुछ बातें बताइए।
क्यों लटकाया यीशु को सूली पर
यीशु को ईसाई धर्म में ईश्वर का बेटा माना जाता है। ईसाई धर्म की मान्यता है कि ईश्वर ने पृथ्वी से अज्ञानता और अधिकार को मिटाने के लिए यीशु को भेजा था। यीशु इस संसार में ईश्वर के महत्व का बखान करने आए थे और लोगों को ज्ञान प्रदान करने आए थे। उस समय यहूदियों की कट्टरपंथी और धर्मगुरुओं ने यीशु का बहुत विरोध किया और रोमन गवर्नर पिलातुस से यीशु की शिकायत कर दी थी और उस समय रोमन साम्राज्य इस बात से डरा रहता था कि कहीं यहूदी क्रांति ना कर दें इसीलिए उन्होंने यीशु को क्रॉस पर लटका कर जान से मार डाला।
क्या है गुड फ्राइडे की महत्व
कहा जाता है कि जिस समय ईसाह मसीह को सूली पर लटकाया गया था। उस समय उनकी उम्र 33 साल थी। वही वह दिन शुक्रवार का दोपहर के 12 से 3 बजें का था। इसी वजह से आज तक जितनी भी ईसाई धर्म की पूजा होती है उसे 12 से 3 के बीच ही रखा जाता है। वही बताया जाता है कि ईसा मसीह सूली पर 6 घंटे तक लटके रहे थे और आखिरी के 3 घंटे में संपूर्ण राज्य में अंधेरा छा गया था। जब यीशु के प्राण निकल रहे थे। तब कब्रों की सभी कपाटें टूट गई थी और दिन में अंधेरा छा गया था। यीशु ने आखिरी समय में भी लोगों की भलाई के बारें में ही सोचाते हुए उनके लिए प्रार्थना की थी। उनके आखिरी शब्द थे “ईश्वर इन्हें क्षमा करें क्योंकि यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं”
गुड फ्राइडे से पहले होता है 40 दिन का व्रत
ईसाई समुदाय में गुड फ्राइडे से पहले 40 दिनों तक घरों के अंदर प्रार्थना के साथ व्रत किया जाता है। कुछ लोग इसे ईसाइयों का रोजा भी कहते हैं। 40 दिन बाद जब व्रत को खत्म किया जाता है। उस दिन गुड फ्राइडे सेलिब्रेट होता है। गुड फ्राइडे के दिन चर्च में घंटी के बजाय लकड़ियों की खटपट की जाती है। लोग दान पुण्य करते हैं और बढ़-चढ़कर चढ़ावा चढ़ाते हैं और इस दिन प्रभु यीशु के उपदेशों का भी पालन करने की कोशिश की जाती है। वही उनके अंतिम 7 वाक्य को भी याद किया जाता है। जो श्रम, मेल मिलाप, सहायता और त्याग से जुड़े थे।
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