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क्या अशोक गहलोत होंगे सोनिया गाँधी के लेफ्टिनेंट या कोई और, जाने

Roshan Kumar • LAST UPDATED : August 20, 2022, 4:30 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का समय नजदीक आते ही पार्टी के भीतर इस बात को लेकर ऊहापोह की स्थिति पैदा हो गई है कि अगर राहुल गांधी फिर से कमान संभालने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो फिर क्या विकल्प होगा?

कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार पार्टी के भीतर इन विकल्पों को लेकर मंथन चल रहा है कि अगर राहुल गांधी तैयार नहीं होते हैं तो गांधी परिवार के किसी विश्वासपात्र नेता को कमान सौंपी जाए या फिर सोनिया गांधी ही अगले लोकसभा चुनाव तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालती रहें.

अब तक तय कार्यक्रम के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होने वाली है और इसे 20 सितंबर को पूरा होना है। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा की ‘‘मतदान के लिए डेलीगेट की सूची तैयार है। हमारी ओर से हम तैयार हैं। कांग्रेस कार्य समिति को चुनाव की तिथि तय करनी है।’’

ज्यादातर कार्यकर्त्ता चाहते है राहुल गाँधी अध्यक्ष बने

2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष बनी हुए है। कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं की राय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालना चाहिए, हालांकि राहुल गांधी की तरफ से इस पर फैसला नही लिया गया है.

कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं की यही भावना है कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनें। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि खुद वह तैयार हों। अगर गांधी परिवार से इतर भी कोई अध्यक्ष बन जाता है तो ऐसी स्थिति में भी राहुल गांधी पार्टी का एक प्रमुख चेहरा बने रहेंगे। आने वाले कुछ समय में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पूरी स्थिति साफ हो सकती है.

अशोक गहलोत सबसे प्रबल दावेदार

राहुल गांधी के अध्यक्ष नहीं बनने की स्थिति में कुछ विकल्पों और नामों पर चर्चा कांग्रेस पार्टी के अंदर हो रही है। राहुल गांधी के अध्यक्ष नहीं बनने की स्थिति में जिन वैकल्पिक नामों को लेकर चर्चा है उनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम प्रमुख है.

अशोक गहलोत की गिनती गाँधी परिवार के वफ़ादारो में होती है। उनके नाम पर गांधी परिवार को भी शायद ही कोई आपत्ति हो। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि गहलोत मुख्यमंत्री पद का छोड़कर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए इच्छुक नजर नहीं आते, लेकिन कई लोगो का यह भी मानना है की जिस तरफ राजस्थान में पांच साल के बाद सरकार बदलने का चलन रहा है। उसको देखते हुए अशोक गहलोत राजी भी हो सकते है.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत के अलावा मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी सैलजा और कुछ अन्य नामों पर भी विचार किया जा रहा है। राहुल गांधी के अध्यक्ष नहीं बनने पर एक विकल्प यह भी हो सकता है कि सोनिया गांधी अगले लोकसभा चुनाव तक अध्यक्ष पद पर बनी रहें और दो-तीन वरिष्ठ नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए.

कांग्रेस दुविधा की स्थिति में

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर पोलिटकल स्टडीज’ के एसोसिएट प्रोफेसर मणींद्र नाथ ठाकुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा की कांग्रेस इस समय दुविधा की स्थिति में है.

मणींद्र कहते है की ‘‘सोनिया गांधी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रही हैं। राहुल गांधी को लेकर यह समस्या है कि जैसे ही उन्हें अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जाएगी, उसी समय से वह विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे, एक समस्या यह भी है कि गांधी परिवार के पास मनमोहन सिंह जैसा कोई विश्वासपात्र व्यक्ति नहीं है।’’

मणींद्र नाथ ठाकुर के अनुसार फिलहाल कांग्रेस के पास एक बेहतर विकल्प यही है कि सोनिया गांधी अध्यक्ष रहें और उनके साथ कुछ नेता प्रमुख सहयोगी की भूमिका में हों।

हालांकि राहुल गांधी ने पहले ही अध्यक्ष पद नहीं संभालने के पीछे वाजिब कारण दिए हैं और देश में जिस तरह का वंशवाद विरोधी माहौल है वो राहुल की दावेदारी को कमजोर बनाता है। प्रधानमंत्री हो या देश के गृह मंत्री अमित शाह वंशवाद को लगातार राजनीती का नासूर बताते रहे है। कांग्रेस के कई लोगो का यह भी मानना है कि सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी रहें और उनके साथ दो-तीन कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए जाएं.

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