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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स से बचने के लिए साफ सफाई के साथ ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। देश में बढ़ते मंकीपाक्स के मामलों के बीच सरकार द्वारा बुधवार को जारी ताजा एडवाइजरी में कहा गया है कि संक्रमण से बचने के लिए सभी लोगों को अपने हाथों को धोने के लिए साबुन या सैनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। मंत्रालय ने संक्रमित लोगों के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने अथवा उनसे मिलने पर मंकीपाक्स होने की बात कही है।
मंकीपाक्स तीन से चार हफ्ते तक शरीर में रह सकता है। इसमें सबसे पहले बुखार होता है। इसके साथ ही मांसपेशियों और शरीर में दर्द, सिरदर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है। चेहरे पर दाने निकल आते हैं जो धीरे-धीरे शरीर के अंदर फैलने लगते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपाक्स का संक्रमण होने के बाद इसके लक्षण दिखने में छह से 13 दिन लगते हैं। कुछ मामलों में पांच से 21 दिन भी लग सकते हैं।
संक्रमण होने वाले दिन से लेकर अगले पांच दिन में सिरदर्द, बुखार, थकान और बैक पेन जैसे लक्षण दिखते हैं। बुखार शुरू होने के एक से तीन दिन के अंदर स्किन पर असर दिखना शुरू हो जाता है और दाने निकलने लगते हैं। इसके 95 फीसद मामलों में चेहरे पर और 75 फीसद मामलों में हथेली व पैर के तलवों पर दाने निकलते हैं।
केंद्र की एडवाइजरी के मुताबिक, संक्रमण होने पर सबसे पहले मरीज को दूसरे लोगों से अलग करें। अगर आपके आसपास मंकीपॉक्स का मरीज है तो मास्क और ग्लव्स पहनें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जहां रहते हैं वहां पर डिसइंफेक्टेंट्स का इस्तेमाल करें। इसके अलावा मरीज ने जो चादर या टॉवल इस्तेमाल किया है, उसका यूज न करें। अगर आपमे मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आएं तो भीड़-भाड़ वाली जगह या सार्वजनिक कार्यक्रम में जाने से बचें। लोगों को गलत जानकारी देकर भ्रमित भी नहीं करना चाहिए। वही साझा करें जिसे डॉक्टर प्रमाणित कर चुके हैं या स्वास्थ्य एजेंसी ने जारी की है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मंकीपाक्स होने पर शरीर में पानी की बिल्कुल कमी न होने दें। मरीज को भूखा भी नहीं रहने देना चाहिए। खाने में इम्यूनिटी को बढ़ाने वाली चीजें दें। यह मरीज की इम्यूनिटी पर निर्भर करता है कि वह कितनी जल्दी रिकवर होगा। सामान्य स्वस्थ लोगों को बचाव के लिए जानवरों या संक्रमित मरीजों के संपर्क में न आने की सलाह दी जाती है। अब तक मंकीपाक्स की कोई दवा तैयार नहींं हो पाई है। फिलहाल ऐसे मरीजों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जा रही हैं, इसलिए बचाव ही इसका बेहतर इलाज है।
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