इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अभी देशभर की निगाहें देश की संसद पर टिकी है क्योंकि आम जनता देश -प्रदेश के जनप्रतिनिधियों से उम्मीद लगाए हुए है कि कौन उनके बुनियादी मुद्द्दों को सदन में उठा रहा ताकि उनके समस्यायों का निदान हो सके। आपको बता दें, सदन में इन दिनों एक युवा चेहरा काफी सुर्ख़ियों में है। हम जिस युवा चेहरे के बात कर रहे वो कोई और नहीं राज्य सभा सांसद कार्तिक शर्मा है। जो निरंतर सक्रिय हैं। संसद के शीतकालीन सत्र में निरंतर आमजन से जुड़े मामलों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं।
ज्ञात हो, सोमवार (19 दिसंबर) को राज्यसभा के विशेष उल्लेख में लोकप्रिय सांसद ने हरियाणा के ईएसआईसी अस्पतालों पर चिंता जताई। राज्य में ईएसआईसी अस्पताल जो डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ दोनों की कमी से जूझ रहे है। उन्होंने इन रिक्त पदों पर नई भर्तियों की मांग की। जैसा कि आप सब भी जानते हैं प्राइवेट अस्पतालों में इतनी फीस ज्यादा होती है। आम आदमी बड़े- बड़े अस्पतालों में बेड और इलाज कराने से कतराता है। ऐसे में सांसद कार्तिक शर्मा द्वारा उठाई गई आवाज जनमानस की आवाज मानी जा रही है।
सांसद में दिखी जन नेता की झलक
सदन में सांसद कार्तिक शर्मा ने आम लोगों की आवाज बन आगे कहा कि, भारत सरकार ने हरियाणा के 5 जिलों हिसार, करनाल, सोनीपत, रोहतक और अंबाला में ईएसआईसी अस्पतालों के खोलने की घोषणा की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य था कि असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों कम रेट पर अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिल सके।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंप्लाइ स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को रिजर्व फंड के जरिए देश के 740 जिलों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के निर्देश जारी किए थे। गुरुग्राम के आईएमटी मानेसर में 500 बेड के ईएसआईसी बेड हॉस्पिटल का फाउंडेशन स्टोन भी रखा गया था। वर्तमान में ईएसआईसी द्वारा प्रदेश के 15 अस्पतालों में टाईअप किया गया है। एमआरआई, सीटी स्कैन और अन्य इमेजिंग टेस्ट के चार्जिज काफी ज्यादा थे और मरीजों को 3 महीने तक इंतजार करना पड़ता था लेकिन टाई अप के बाद इसमें सुधार हुआ है।
ईएसआईसी अस्पतालों में खाली पदों पर तुरंत हो नियुक्ति
राज्य के आमजनों की समस्यायों से सदन को रु -ब -रु करते हुए सांसद ने कहा ‘ईएसआईसी अस्पतालों में बड़े पैमाने पर स्टाफ की कमी है। ईएसआईसी अस्पताल डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ दोनों की कमी से जूझ रहे हैं। इनके खाली पदों को भरे जाने की आवश्यकता है। स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को पहले ही मरीजों का ज्यादा लोड सहन कर रहे सरकारी अस्पतालों या प्राइवेट का रुख करना पड़ता है। प्राइवेट अस्पतालों में उनको ज्यादा फीस देनी पड़ती है। ऐसे में जरूरत है कि खाली पदों को तुरंत भरा जाए।’