India News (इंडिया न्यूज़), National Doctor’s Day: डॉक्टरों के समर्पण, कार्य के प्रति समर्पण, ईमानदारी, समर्पण को सम्मान देने के लिए हर साल 1 जुलाई को पूरे देश में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जहां आम लोगों के लिए फायदेमंद हो रहा है, वहीं नए सिविल अस्पताल में विभिन्न विभागों के 758 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर और मनपा संचालित स्मीमेर अस्पताल में नागरिकों की सेवा कर रहे हैं।
सरकार के स्वास्थ्य उपायों से शिशु मृत्यु दर में कमी
डॉ. निर्मलभाई ने कहा कि सूरत ने पिछले दिनों स्वास्थ्य क्षेत्र में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 1990 के दशक में सूरत शहर में प्रदूषण के कारण मलेरिया के मामले अधिक सामने आते थे। बच्चों में बीमारी के मामले बढ़ रहे थे। जिसके कारण शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) बहुत अधिक थी। उस समय पैदा हुए 1000 बच्चों की तुलना में 120 से 140 बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। वह आज घटकर मात्र 22 रह गई है। सरकार के स्वास्थ्य उपायों और जन जागरूकता से शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है। किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय सूरत के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने डटकर मुकाबला किया, जिसके आज सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में स्वास्थ्य सेवा और डॉक्टरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। पहले बीमारी के कारण आम लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाते थे, लेकिन अब राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं से आम परिवार के सदस्यों की बीमारी पर खर्च होने वाला पैसा बच रहा है, जिसका उपयोग अन्य जरूरतों के लिए किया जा सकता है, जिससे तरलता बढ़ रही है।
भारत में ‘राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस’ मनाने की कब हुई शुरुआत
भारत में ‘राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस’ मनाने की शुरुआत वर्ष 1991 से हुई। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में 1991 से केंद्र सरकार द्वारा हर साल पूरे देश में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना शहर में हुआ था और 1 जुलाई 1962 को 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।उन्होंने कलकत्ता से मेडिकल स्नातक की पढ़ाई पूरी की, और 1911 में लंदन में एमआरसीपी और एफआरसीपी की डिग्री प्राप्त की और भारत लौटने के बाद उसी वर्ष भारत में एक डॉक्टर के रूप में अपना मेडिकल करियर शुरू किया। वह देश के प्रसिद्ध चिकित्सक, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी भी थे।
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