इंडिया न्यूज़ (भोपाल, NCPCR Chairperson lodges FIR against Christian Missionary in Damoh): राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मध्य प्रदेश के दमोह में धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए एक ईसाई मिशनरी से जुड़े दस लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
कानूनगो जिले में ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे अनाथालयों और बाल गृहों के औचक निरीक्षण के लिए यहां पहुंचे थे। उन्होंने केवल अपने आने की सूचना जिले के अधिकारियों को दी थी। एफआईआर के विवरण के अनुसार, कानूनगो मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह मरकाम के साथ कटनी बाईपास स्थित ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे बच्चों के छात्रावास में पहुंचे।
प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि उन्हें मुख्य द्वार पर काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। उनके साथ आला अधिकारी भी थे लेकिन फिर भी मेन गेट नहीं खुला। कानूनगो ने दावा किया कि ईसाई मिशनरी संस्थानों में बच्चों का धर्मांतरण चल रहा था। उन्होंने बताया कि प्रदेश के डिंडोरी जिले से एक बच्चे को यहां लाया गया था, जिसे पादरी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी।
छात्रावास ने आरोप नाकारा
इसके बाद कानूनगो शिकायत दर्ज कराने देहात थाने पहुंचे। कानूनगो ने दावा किया कि लंबे इंतजार के बाद ईसाई मिशनरी के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
कानूनगो ने यह भी दावा किया कि औचक निरीक्षण से पहले संबंधित संस्थानों को सूचित करने के लिए कोई और नहीं बल्कि विभाग के लोग थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद एक अधिकारी का मोबाइल फोन पकड़ा था।
अपर पुलिस अधीक्षक शिव कुमार सिंह ने बताया कि आयोग के अध्यक्ष ने धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है। उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरी के दस लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 370, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 और 75 और मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की जांच की जा रही है।
वहीं छात्रावास की प्राचार्य ट्रीजा मिस ने कहा, ”धर्मांतरण जैसे आरोप निराधार हैं। इस छात्रावास में किसी भी बच्चे पर कोई पाबंदी नहीं है. हिंदू और मुस्लिम बच्चे अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं और अपनी पूजा पद्धति का इस्तेमाल करते हैं। ट्रीजा ने गेट के खुलने में देरी पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि बच्चे रविवार को छात्रावास से बाहर नहीं जाते हैं। सुरक्षा कारणों से गेट खोलने में देरी हुई।”