India News(इंडिया न्यूज), NIA Investigation: खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ भारतीय जांच एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। भारतीय जांच एजेंसियां खालिस्तानी आतंकी नेटवर्क को लेकर फुल एक्शन मोड में नज़र आ रही हैं। अब जांच एजेंसियां खालिस्तानी नेटवर्क की फाइनेंसियल कमजोर करने की तैयारी में जुट गई हैं। हाल ही में दायर चार्जशीट से खुलासा हुआ कि साल 2019 से 2021 के बीच 13 बार हवाला के जरिए करोड़ों रूपए थाईलैंड के रास्ते कनाडा भेजे गए।
लॉरेन्स बिश्नोई के द्वारा उगाही किया जा रहा करोड़ों रुपए
एनआईए ने अपनी जांच में पाया था कि लॉरेन्स बिश्नोई ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और अन्य राज्यों में कारोबारियों और शराब ठेकेदारों से उगाही की थी और कनाडा में बैठे अपने करीबी गोल्डी बराड़ और सतबीर सिंह उर्फ सैम को हवाला के जरिए करोड़ों रूपए भेजे थे। अब जांच एजेंसियां इनके हवाला सिंडिकेट की पहचान कर उसे जल्द ध्वस्त करेंगी।
टेरर एक्टिविटी में इस्तेमाल हो रहा पैसा
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि खालिस्तानी आतंकी क्राइम सिंडिकेट से करोड़ों रूपए की उगाही कर उसका इस्तेमाल टेरर एक्टिविटी में कर रहे हैं। कनाडा में मौजूद खालिस्तानी आतंकियों का सबसे बड़ा उगाही का जरिया अवैध शराब का धंधा और एक्सटॉर्शन है। उगाही से आए करोड़ों रूपए को कनाडा में बैठे गोल्डी बराड़ और जेल में बंद जग्गू भगवानपुरिया सुरेंद्र सिंह चीकू, राजेश कुमार उर्फ राजू मोटा और दिलीप बिश्नोई की मदद से एग्रीकल्चरल लैंड और प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करते हैं।
रिश्तेदारों के नाम पर खरीदते हैं प्रॉपर्टी
जांच में पाया गया है कि ये सभी प्रॉपर्टी तमाम खालिस्तानी आतंकी अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदते हैं। साथ ही इनसे आए प्रॉफिट का एक बड़ा हिस्सा टेरर एक्टिविटी को बढ़ावा देने में किया जाता है। सोशल मीडिया के जरिए ये तमाम आतंकी पंजाब और अन्य राज्यो में अपने गैंग के लिए रिक्रूटमेंट का काम भी करते हैं। खालिस्तानी आतंकियों की तमाम प्रॉपर्टी और एग्रीकल्चरल लैंड की पहचान के लिए एनआईए ने बकायदा इश्तेहार देकर मदद की अपील की है।
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