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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Cause of Floods In Pakistan : पाकिस्तान में पिछले काफी दिनों से हो रही लगातार भारी बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए हैं। जिस कारण अब तक 1100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। इस आपदा से निपटने के लिए पाकिस्तान की सरकार दुनियाभर से मदद की अपील कर रही है।
एक रिपोर्ट की माने तो बाढ़ के लिए बदलते मौसम के साथ-साथ हिमालय में पिघलने वाले ग्लेशियरों भी जिम्मेदार हैं। वहीं माना जा रहा है कि ग्लेशियरों का इस तरह तेजी से पिघलना भारत के लिए भी बड़ा खतरानाक हो सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर के शोधकर्ताओं ने इस साल की शुरूआत में तेज गर्मी और लू के कारण हिमालय के ग्लेशियरों में अत्यधिक पिघलने को दर्ज किया था। रिसर्चर 15 साल से भी अधिक समय से हिमालय के बर्फ के आवरण, बर्फ के निर्माण और मौसमी हिमपात पर नजर रख रहे हैं।
ककळ इंदौर के एक ग्लेशियोलॉजिस्ट मोहम्मद फारूक आजम ने बताया कि हमने इस पर (ग्लेशियर) जून में नजर रखना शुरू किया था और अगस्त तक हमें उसका अवशेष भी नहीं ढूंढ सके।
गर्मियों की शुरूआत में तेज गर्मी को महसूस किया, मार्च और अप्रैल में ही तापमान ने 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। परिणाम ये हुआ कि ग्लेशियर पिघल गए। हमारी टीम पिछले हफ्ते एक ग्लेशियर पर थी और हमने हिमालय में बर्फों को रिकॉर्ड तोड़ पिघलते हुए देखा है।
बता दें कि ग्लेशियरों के पिघलने के साथ-साथ अतिरिक्त बारिस ने पाकिस्तान की नदियों में उफान पैदा कर दिया। ग्लेशियर पिघलने के बाद हिमालय से निकला पानी नदियों के बहाव को और तेज कर दिया। इसे हिमनत झील का प्रकोप बाढ़ कहा जाता है।
हिमालय में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना कोई अकेली घटना नहीं है। इसी तरह की घटनाएं यूरोप के आल्प्स में भी देखी गई हैं। हिमालय के बारे में चिंताजनक बात यह है कि यह उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बाहर जमे हुए मीठे पानी का सबसे बड़ा भंडार रखता है।
2021 में ककळ इंदौर द्वारा किए गए एक पिछले अध्ययन से पता चला है कि ग्लेशियरों का पिघलना और बर्फ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण घटक हैं और अगर यह सदी तक जारी रहा, तो एक दिन पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
दुनियाभर के ग्लेशियर क्षेत्र में एक अरब से अधिक लोग बर्फ के पिघलने के बाद निकले पानी पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में इनका तेजी से पिघलना भविष्य में पानी की कमी का कारण भी बन सकता है।
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