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माँ को मुखाग्नि दे राजधर्म निभाने निकल पड़े PM मोदी, कभी पत्नी की निधन की खबर मिलने के बाद भी कर्तव्यपथ पर डटे रहे थे सरदार पटेल

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 30, 2022, 5:06 pm IST
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माँ को मुखाग्नि दे राजधर्म निभाने निकल पड़े PM मोदी, कभी पत्नी की निधन की खबर मिलने के बाद भी कर्तव्यपथ पर डटे रहे थे सरदार पटेल

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ हीराबेन का 100 साल की उम्र में निधन हो गया। इस दौरान प्रधानमंत्री अपनी माँ को लेकर भावुक रहे। हालाँकि, एक बेटे के रूप में इतने बड़े दुख के बावजूद वे प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्म को नहीं भूले। माँ की अंत्येष्टि करने के कुछ देर बाद वे अपने काम पर काम लग गए।

जानकारी दें, पीएम मोदी अपनी माँ के पार्थिव शरीर को शुक्रवार (30 दिसंबर 2022) को सुबह 9:40 बजे अहमदाबाद में मुखाग्नि दी। इसके बाद वे अहमदाबाद से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़कर बंगाल में आयोजित कार्यक्रम में जुड़कर हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई और इसका शुभारंभ किया।

ज्ञात हो, इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल थीं। पीएम मोदी को देखकर उन्होंने कहा, “यह दिन आपके लिए दुख भरा है। आपकी माँ यानी हमारी भी माँ। ईश्वर आपको अपना काम जारी रखने की शक्ति दें। मेरा अनुरोध है कि आप कुछ समय आराम भी करें।”

मां को दी मुखाग्नि और बंगाल की जनता से पीएम ने क्षमा मांगी

आपको बता दें, कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “निजी कारणों की वजह से आपके बीच बंगाल नहीं आ पाया। इसके लिए क्षमा माँगता हूँ। वंदे भारत ट्रेन के लिए आप सबको बधाई। कुछ देर बाद गंगाजी की स्वच्छता और पीने के पानी से जुड़ी परियोजनाएँ पश्चिम बंगाल को सौंपने का अवसर मिलेगा।”

कभी पत्नी की मौत की खबर मिलने पर भी कर्मपथ पर डटे रहे थे सरदार पटेल

आपको बता दें, सरदार पटेल के कर्तव्यबोध, समर्पण और ईमानदारी की झलक उनके जीवन से मिलती है। सरदार पटेल एक नामी वकील थे। जनवरी 1909 में जब वे कोर्ट में हत्या के आरोपित अपने मुवक्किल का केस लड़ रहे थे, उसी दौरान उन्हें अपनी पत्नी झावेरबा की मृत्यु का तार मिला। इस आपातकालीन पत्र को पढ़कर उसे साधारण भाव से सरदार पटेल ने अपनी जेब में रख लिया और कोर्ट में बहस करते रहे।

बहस के बाद जब इस घटना की जानकारी उनके साथियों और न्यायाधीश को उनकी पत्नी के निधन की जानकारी मिली तो उन्होंने सरदार पटेल पूछा। तब सरदार पटेल ने कहा, “उस समय मैं अपना फर्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिया था। मेरे मुवक्किल को झूठे मामले में फँसाया गया है। मैं उसके साथ अन्याय कैसे कर सकता था।”

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