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इंडिया न्यूज़ के मंच पर राष्ट्रपति अवॉर्ड विजेता महिला शिक्षकों ने बताया सफलता का राज

Roshan Kumar • LAST UPDATED : December 1, 2022, 9:28 am IST
इंडिया न्यूज़ के मंच पर राष्ट्रपति अवॉर्ड विजेता महिला शिक्षकों ने बताया सफलता का राज

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इंडिया न्यूज़ (पानीपत, President Winner women teachers in India news program): बुधवार को इंडिया न्यूज हरियाणा ने अपने विशेष कार्यक्रम ‘हम महिलाएं’ में देश के बुद्धिजीवियों से बातचीत की। इस कार्यक्रम में उन महिलाओं को शामिल किया गया जिन्होंने अपने जीवन में विशेष लक्ष्य को अपनी मेहनत के बूते हासिल करते हुए समाज के सामने एक उदाहरण पेश किया। इन महिलाओं ने बताया कि कैसे एक महिला अपनी लग्न और मेहनत से समाज को नई दिशा प्रदान कर सकती है।

कार्यक्रम के एक भाग में देश की उन महिला शिक्षकों ने भाग लिया जिनको शिक्षण क्षेत्र में असाधारण सहयोग देने के लिए राष्ट्रपति अवॉर्ड से नवाजा गया। इनमें भूमिका शर्मा, ज्योति राज और अंजू तीनों अध्यापिकाओं ने अपनी कामयाबी के पीछे के संघर्ष, त्याग और मेहनत को इंडिया न्यूज हरियाणा के मंच पर सांझा किया।

सुविधाओं में बदलाव आया, सोच में बदलाव आना बाकी : भूमिका शर्मा

India News Haryana कार्यक्रम के दौरान अपने विचार साझा करते हुए राष्ट्रपति अवॉर्ड महिला शिक्षक ने बताया कि आज भी महिलाओं खासकर लड़कियों के लिए लोगों और समाज की सोच में बदलाव आना बाकी है। उन्होंने कहा कि आज भी लड़कियों को परिवार की हैसियत के हिसाब से तो सुविधाएं मिल जाती हैं परंतु उनके बारे में उस तरह से नहीं सोचा जाता जिस तरह से परिवार के बेटे के बारे में।

उन्होंने कहा जो लड़की साहस और हौसले से आगे बढ़ी उसने आसमान छू लिया लेकिन जिस लड़की को परवरिश में साहस और हौसला नहीं मिला वो कभी भी घर की दहलीज से बाहर का सोच नहीं पाती।

उन्होंने कहा कि जब भी कोई लड़की जिंदगी में सफलता पाने के लिए घर से बाहर निकलती है तो उसे सबसे पहले आलोचना का सामना करना पड़ता है। उसके चरित्र पर टिप्पणी की जाती है। अब यह लड़की और उसके परिवार को तय करना होता है कि वो इन सबको नजरअंदाज करते हुए कैसे सफलता हासिल करती है।

पढ़ने पर विरोध किया अवार्ड जीतने पर स्वागत किया

अपने विचार साझा करते हुए भूमिका शर्मा ने कहा कि जब उन्होंने दिल्ली विवि में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने की बात अपने परिवार से की तो उन्हें उनके माता-पिता का भरपूर सहयोग मिला लेकिन उनके गांव की बिरादरी ने उनके परिवार के इस फैसले का विरोध किया। लोगों ने कई तरह की बातें बनाकर कहा कि वे दिल्ली विश्वविद्यालय जाकर गांव का नाम खराब करेगी।

शर्मा ने कहा कि यह हमपर निर्भर करता है कि एक बेटी अपने माता-पिता के सपनों को कैसे साकार करती है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद सभी युवाओं का आह्वान किया कि वे हमेशा अपने माता-पिता की तस्वीर अपनी आंखों में रखें इससे वह कभी भी अपने पथ से भटक नहीं सकेंगे। वे कोई भी ऐसी गलती नहीं करेंगे जो माफ करने लायक न हो। उन्होंने कहा कि जो लोग उनके दिल्ली विवि जाने का विरोध कर रहे थे उन्हीं लोगों ने उनका ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया जब वे 31 अक्टूबर को संसद भवन से अपना संबोधन करके लौटी थीं।

अभिभावकों को अपनी सोच बदलनी होगी : अंजू

राष्ट्रपति अवॉर्ड विजेता शिक्षक अंजू ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि आज के समय में बहुत सारे ऐसे अभिभावक हैं जो चाहते हैं कि उनकी बेटियां ऊंचे लक्ष्य हासिल करें।

इसके लिए वे हर तरह का त्याग करने के लिए तैयार रहते हैं लेकिन अभी भी हमारे समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो बेटी से ज्यादा बेटों को अधिकार देता है। हमें ऐसे लोगों की सोचा बदलनी होगी।

ताकि समाज में लड़कियों को आगे बढ़ने के मौके मिलें और वे अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी सकें। उन्होंने कहा कि किसी भी लड़की के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए मां की बड़ी भूमिका होती है।

यदि मां बेटी की बेहतरी के लिए उसके साथ खड़ी है तो समाज को अपनी सोच में बदलाव लाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज भी समाज में हमारे इर्द गिर्द ऐसे हजारों मामले सामने आते हैं जहां मां के कारण बेटी ने जीवन में अपना लक्ष्य हासिल किया हो।

सभ्य समाज बनाने में महिला का अहम रोल : ज्योति राज

कार्यक्रम के दौरान महिला शक्ति पर अपने विचार रखते हुए ज्योति राज ने कहा कि एक समाज को बनाने में महिला का अहम रोल होता है। उन्होंने कहाकि समाज कि सबसे छोटी इकाई परिवार होता है। एक महिला ही परिवार को एक सूत्र में पिरोकर रख सकती है।

वह हर तरह के माहौल में पूरी जिम्मेदारी के साथ परिवार को बांधे रखती है। वे घर व बाहर की जिम्मेदारी अच्छे से संभालती हैं। इसके लिए महिलाओं का सशक्त होना बहुत जरूरी। इसमें शिक्षा का अहम रोल होता है। जीवन के हर कार्य को एक अवसर समझकर करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले समाज में लोगों की सोच होती थी कि लड़की का बाहरवीं कक्षा तक पढ़ा होना काफी होता है। उसके बाद लड़की की शादी के बारे में सोचा जाने लगता था।

लेकिन अब समय के साथ-साथ लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है। अब शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से भी लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पहुंच रहीं हैं और जीवन में सफलता पा रहीं हैं।

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