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(दिल्ली) : 2024 लोकसभा चुनाव में मद्देनजर नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस तीसरी बार राहुल गांधी को ‘रीलॉन्च’ करने की तैयारी में जुटी है। लोकसभा चुनाव को ध्येय में रखकर ही कांग्रेस पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत थी। बता दें, 7 सितंबर को ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की शुरुआत हुई थी। राहुल गांधी की पद यात्रा तमिलनाडु से शुरू होकर केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर पहुंची। जहां पर राहुल गांधी ने अपनी पद यात्रा समाप्त की। राहुल की यात्रा समाप्त होने पर अब सवाल उठ रहें है कि “नफरत के बाजार में राहुल कितनी मोहब्बत की दुकान खोल पाए ? अपनी यात्रा के दरम्यान उन्होंने बिखरे हुए विपक्ष को कितना एकजुट किया।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस ने यह यात्रा राहुल गांधी को रीलॉन्च करने के लिए की थी। जिससे 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने उन्हें फिर से उतारा जाए। राहुल इस पदयात्रा के जरिये विपक्ष के तमाम नेताओं को एकजुट करेंगे। कांग्रेस आलाकमान की रणनीति थी कि इस यात्रा के प्रभाव से अगर विपक्ष एकजुट हो जाता है तो उसे 2024 में भाजपा को चुनौती देने में आसानी होगी। हालांकि, राहुल के साथ कश्मीर में ही विपक्ष साथ नजर आया। बाकि अन्य राज्यों में कांग्रेस के उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आया। यहां विपक्ष के नेताओं ने राहुल की यात्रा की तारीफ तो की लेकिन कोई पदयात्रा में कोई साथ नजर नहीं आया।
भारत जोड़ो यात्रा के समापन दिवस के मौके पर कांग्रेस ने देश के 22 मोदी विरोधी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। कांग्रेस की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को न्यौता दिया। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, बीएसपी चीफ मायावती, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत तमाम बड़े नेताओं को कश्मीर आने का निमंत्रण भेजा था। लेकिन बड़े राजनीतिक चेहरों ने कांग्रेस के इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में बनाए जा रहे विपक्षी एकता के मंच से दूरी बना ली। बहुजन समाज पार्टी के एक नेता वहां जरूर पहुंचे लेकिन उन्होंने भी कहा कि वह पार्टी की ओर से नहीं बल्कि मंच पर आने का फैसला उनका स्वयं का है।
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