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मध्यप्रदेश में बड़े राशन घोटाले के आरोप, वितरण स्कूल व बाइक से किया, ट्रकों से दिखाया

BY: Vir Singh • LAST UPDATED : September 6, 2022, 1:02 pm IST
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मध्यप्रदेश में बड़े राशन घोटाले के आरोप, वितरण स्कूल व बाइक से किया, ट्रकों से दिखाया

मध्यप्रदेश में बड़े राशन घोटाले के आरोप, वितरण स्कूल व बाइक से किया, ट्रकों से दिखाया

इंडिया नयूज, भोपाल, (Ration Scam In Madhya Pradesh): मध्यप्रदेश सरकार की पोषण आहार वितरित योजना, टेक होम राशन स्कीम (टीएचआर) में बिहार के चारा घोटाले की तरह बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। राज्य के महालेखाकार (अकाउंटेंट जनरल) की आडिट रिपोर्ट में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।

110.83 करोड़ का पोषण आहार केवल दस्तावेजों में बंटा

रिपोर्ट के अनुसार 110.83 करोड़ रुपए का पोषण आहार तो केवल दस्तावेजों में ही बंट गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन ट्रकों से 1100 टन के राशन का परिवहन दिखाया गया है, असल में वे ट्रक नहीं बल्कि स्कूटर व मोटर साइकिल हैं। यानी रिपोर्ट कहती है कि कंपनियों ने दोपहिया वाहनों से ट्रक की क्षमता वाला पोषण आहार ढोया है।

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गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों को दिया जाता है आहार

अधिकारियों ने कंपनियों को फर्जी परिवहन के लिए सात करोड़ रुपए भी दे दिए हैं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। बता दें कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत काम करने वाली गर्भवती महिलाओं व आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों को पोषण आहार का वितरण किया जाता है और यह आहार पहुंचाने दायित्व निजी कंपनियों को सौंपा गया है।

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वितरण किया ही नहीं, कांगजों में सिर्फ दिखाई एंट्री

आॅडिटर जनरल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने परिवहन के लिए जिन ट्रक के नंबर दिए थे, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच एमपी सहित उन तमाम राज्यों की परिवहन विभाग की वेबसाइट से की गई, जहां के वे दर्शाए गए थे। वेबसाइटों पर ट्रकों के नंबर मोटरसाइकिल, स्कूटर, आॅटो और कार के पाए गए। मतलब साफ कि कंपनियों ने पोषण आहार का वितरण किया ही नहीं और इसके बजाय कागजों में केवल एंट्री दिखा दी।

62 करोड़ का करीब 10 हजार टन आहार गायब

जांच रिपोर्ट में राजधानी भोपाल के अलावा धार, सतना, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, झाबुआ, रीवा और सागर जिलों में करीब 97 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में होना बताया था। वहीं रिपोर्ट के अनुसार लगभग 87 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया। यानी इसका मतलब है कि 62 करोड़ रुपए का करीब 10 हजार टन आहार गायब था।

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