नई दिल्ली: (Repo Rate: In December last year, the RBI had increased the repo rate by 35 basis points) पिछले साल मई से अब तक आरबीआई रेपो रेट में 250 प्वाइंट का इजाफा कर चुकी है।

नई रेपो रेट अब 6.50 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज एक बार फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट के इजाफे का ऐलान किया। अब नई रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 6.25% से 6.50% हो गयी है। पिछले साल दिसंबर में ही आरबीआई ने रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था। आज लगातार छठी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया है। पिछले साल मई से अब तक आरबीआई रेपो रेट में 250 प्वाइंट का इजाफा कर चुकी है।

समिति के चार सदस्यों की सहमति

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4-2 से रेपो रेट को बढ़ाने के पक्ष में सहमति दी। गवर्नर शक्तिकांत दास ने समिति के फैसले की घोषणा करते हुए कहा, “कोर या अंतर्निहित मुद्रास्फीति की स्थिरता चिंता का विषय है। हमें मुद्रास्फीति में एक निर्णायक मॉडरेशन देखने की जरूरत है। हमें मुद्रास्फीति को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता में अटूट रहना होगा।” वित्तीय वर्ष 2023 में उपभोक्ता मुद्रास्फीति 6.5% और वित्तीय वर्ष 2024 के लिए 5.3% रहने का अनुमान है।

क्या होता है ‘रेपो रेट’?

आसान भाषा में कहें तो रेपो रेट का मतलब वह दर जिस पर बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। बैंक योग्य सिक्योरिटीज को बेचकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से ऋण प्राप्त करते हैं। रेपो रेट का उपयोग आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। जब बैंकों के पास धन की कमी होती है या अस्थिर बाजार स्थितियों के तहत लिक्विडिटी बनाए रखने की आवश्यकता होती है, तब बैंक आरबीआई से लोन लेती है।

लोन और EMI पर कैसे पड़ेगा असर?

आपको हमनें बताया कि रेपो रेट किसे कहते है। अब मान लिजिए की आपको लोन की आवश्यक्ता है तो आप क्या करेंगे? आप अपने बैंक जाकर लोन लेंगे। आपको बैंक से ज्यादा से  ज्यादा कम दर लेने की बात करते हैं लेकिन अगर आरबीआई ही बैंकों को ज्यादा रेट पर पैसे देगा तो फिर बैंक अपने ग्राहकों को कम रेट पर पैसे कैसे दे सकती है ?

इसीलिए जब-जब आरबीआई रेपो रेट में इजाफा करती है, इसका सीधा असर देश की आम जनता पर उनके लोन और ईएमआई पर पड़ता है। जनता को ज्यादा मंहगे रेट पर कर्ज मिलता है।

 

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