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हम दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय आपस में ही लड़ रहे हैं: मोहन भागवत

Suman Saurabh • LAST UPDATED : June 2, 2023, 2:26 am IST

India News(इंडिया न्यूज), RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को नागपुर में ‘संघ शिक्षा वर्ग’ के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए। और अगर कोई कमियां हैं, तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए।”

हम आपस में ही लड़ रहे हैं 

संघ प्रमुख ने कहा, “इसी समय देश में कितने जगह कितने प्रकार के कलह मचे है, भाषा, पंथ, संप्रदायों, मिलने वाली सहुलियतों के लिये विवाद और केवल विवाद ही नहीं बल्कि इसका इस हद तक बढ़ना कि हम आपस में ही हिंसा करने लगे। अपने देश कि सीमाओं पर, अपनी स्वतंत्रता पर बुरी नजर रखने वाले शत्रू बैठे हैं उनको हम हमारा बल नहीं दिखा रहे, हम आपस में ही लड रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं।”

इस्लाम का अभ्यास यहां सदियों से सुरक्षित

भागवत ने कहा कि कुछ धर्म भारत के बाहर के थे और हमारे उनके साथ युद्ध हुए। बाहरी लोग चले गए हैं, लेकिन इस्लाम का अभ्यास यहां सदियों से सुरक्षित है।

संघ प्रमुख ने कहा,” पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परस्त किया। तो अपने कार्य क्षेत्र में इस्लाम सिकुड़ गया। सबने सब बदल दिया। अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं सुरक्षित चलती है। कितने शतक हुए यह सह जीवन चल रहा है। इसको न पहचानते हुए आपस के भेदों को ही बरकरार रखने वाली नीति चलाना, ऐसा करेंगे तो कैसे होगा।”

पूर्वजों का गौरव लेकर चलते हैं, लेकिन हमें..

उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि अतीत में भारत में कोई जातिगत भेदभाव नहीं था। भागवत ने कहा,” किसी को यह स्वीकार करना होगा कि अन्याय (जाति व्यवस्था के कारण) हमारे देश में हुआ है। हम अपने पूर्वजों का गौरव लेकर चलते हैं, लेकिन हमें कर्ज (उनकी गलतियों का) भी चुकाना है।”

उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट और बाद में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया। भागवत ने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं।

 

 

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