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Saamna on NCP: सामना ने किया एनसीपी पर तंज, कहा- एक उत्तराधिकारी नहीं बना पाए पवार, इस्तीफे को बताया ड्रामा

Roshan Kumar • LAST UPDATED : May 8, 2023, 9:18 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Saamna on NCP, मुंबई: अपने तीख बोल के लिए जाने-वाले शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना में एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के इस्तीफे पर फिर उसे वापस लेने का एक ड्रामा बताया गया है। सामना ने एक संपादकीय में कहा है कि एनसीपी नेता उत्तराधिकारी बनाने में विफल रहे हैं।

  • सामना का तंज
  • उत्तराधिकारी नहीं बना सके
  • इस्तीफे के बाद पार्टी हिल गई

सामना में लिखा गया है कि- ‘पार्टी का आगे-पीछे, तना… सब कुछ महाराष्ट्र में है, इसलिए पवार के सभी सहयोगी जो चाहते हैं, वह महाराष्ट्र में ही है। सामना ने लिखा, ‘पवार बेशक राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी बातों का सम्मान होता है, लेकिन वे ऐसा उत्तराधिकारी पैदा करने में नाकाम रहे हैं जो पार्टी को आगे ले जा सके।’

एनसीपी जड़े से हिल गई

संपादकीय में लिखा गया- ‘चार दिन पहले जैसे ही उन्होंने संन्यास की घोषणा की, पार्टी जड़ से हिल गई और सब लोग अब हमारा क्या होगा? इसी चिंता से कांप रहे हैं। कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना इस्तीफा वापस ले लिया। इसके बाद भी वह एनसीपी की कमान संभालेंगे। इससे पिछले चार-पांच दिनों से चल रहे ड्रामे पर से पर्दा उठ गया है।

असली मर्द कौन?’

मुखपत्र में शरद पवार का जिक्र करते हुए लिखा गया- शरद पवार ने कहा कि वह आखिर तक लड़ेंगे। महाराष्ट्र में ऐसा हुआ, लेकिन लालू यादव, के.सी. चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, स्टालिन जैसे नेता भी लड़ने उतर आए हैं। कार्यकर्ता संघर्ष करते रहते हैं। पार्टी उन लोगों पर निर्भर नहीं है जो अपना झोला भर कर बाहर आते हैं! सभी दलों के कायर नेताओं को एक आज़ाद पार्टी की स्थापना करनी चाहिए ताकि लोगों को पता चले कि असली मर्द कौन है?

विपक्षी गठबंधन ने राहत की सांस ली

सामना में लिखा गया- ‘कौन बनेगा नया अध्यक्ष? यह तय करने के लिए, श्री पवार ने एक बड़ी कार्यकारी समिति नियुक्त की। उस कार्यकारिणी में कौन? जिन्होंने बीजेपी में जानें की योजना बनाई ज्यादतर वही लोग थे। लेकिन कार्यकर्ताओं का दबाव और भावनाएँ इतनी प्रबल थीं कि कार्यकारिणी समिति को पवार का इस्तीफा नामंजूर करते हुए उनसे कहना पड़ा, ‘इसे आगे आप ही ही’। पवार की वापसी से उनकी पार्टी में चेतना आई और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के गठबंधन ने भी राहत की सांस ली।

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