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आरटीआई के तहत जजों के वेतन की जानकारी नहीं दे सकते: गुजरात हाईकोर्ट

BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : January 31, 2023, 5:08 pm IST
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आरटीआई के तहत जजों के वेतन की जानकारी नहीं दे सकते: गुजरात हाईकोर्ट

Salaries of High Court judges cannot be disclosed under RTI Act says Gujarat High Court

गांधीनगर (Judges salary can’t revealed under RTI act): गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के जजों के वेतन और भत्तों के बारे में जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत नहीं दी जा सकती क्योंकि वे संवैधानिक पदों पर हैं। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने फैसला सुनाया कि एक न्यायाधीश उन अधिकारियों और कर्मचारियों की श्रेणी में नहीं आएगा जो आरटीआई अधिनियम की धारा 4 (1) (बी) (एक्स) के तहत अपने मासिक वेतन का खुलासा करने के लिए उत्तरदायी हैं।

अदालत ने कहा “जाहिर तौर पर, हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश की स्थिति एक संवैधानिक पद है जो आरटीआई अधिनियम की धारा 4 (1) (बी) (एक्स) के मापदंडों के अंतर्गत नहीं आती है, जो अधिकारियों और कर्मचारियों के मासिक वेतन से संबंधित है। कोर्ट ने राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक सूचना अधिकारी को हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को दिए जाने वाले वेतन और भत्तों के संबंध में जानकारी देने का आदेश दिया गया था।

आयोग ने दिया था फैसला

कोर्ट राज्य सुचना आयोग के 11 अगस्त, 2017 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आयोग के आदेश मे सुगनाबेन भट्ट की नियुक्ति, वेतन और भत्तों के बारे में जानकारी मांगने वाले चंद्रवदन ध्रुव की याचिका को स्वीकार किया गया था। सूचना अधिकारी ने शुरू में यह कहते हुए यह जानकारी देने से मना कर दिया था कि यह व्यक्तिगत जानकारी है जिसका किसी सार्वजनिक गतिविधि से कोई संबंध नहीं है। आयोग के आदेश को आरटीआई आवेदक द्वारा दो बार चुनौती दी गई। दूसरी अपील में, गुजरात सूचना आयोग ने न्यायमूर्ति भट्ट को दिए गए वेतन और भत्तों पर मांगी गई जानकारी का खुलासा करने के पक्ष में फैसला सुनाया था।

कोई वकील पेश नहीं हुआ

सुनवाई में अधिवक्ता तृषा पटेल उच्च न्यायालय प्रशासन के लिए पेश हुईं और तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्तों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। कोई भी वकील आरटीआई आवेदक और राज्य सुचना आयोग की तरफ से पेश नही हुआ। अदालत ने आयोग ने आदेश को रद्द कर दिया। केस को गुजरात उच्च न्यायालय बनाम चंद्रवदन ध्रुव के नाम से जाना गया।

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