Same-Sex Marriage: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह पर विरोध जताया है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को दिए अपने जवाब में कहा कि ‘अदालतें समलैंगिक विवाह के अधिकार को मान्यता देकर कानून की एक पूरी शाखा को फिर से नहीं लिख सकती हैं क्योंकि ‘एक नई सामाजिक संस्था का निर्माण’ न्यायिक निर्धारण के दायरे से बाहर है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता न देने का विकल्प विधायी नीति का एक पहलू है यह स्पष्ट विधायी नीति के मद्देनज़र अदालत में न्याय करने के लिए सही विवाद नहीं है। शादी केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच हो सकती है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि ज्यूडिशियल अवार्ड की मदद से समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती यह संसद के क्षेत्र में अधिकार क्षेत्र में आता है न कि सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत कोर्ट के लिए याचिकाएं “सोशल एक्सेप्टेंस के उद्देश्य से अर्बन एलीट आईडियाज (Urban Elite Ideas) को दर्शाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली शामिल हैं। मामले पर अब अगली सुनवाई 18 अप्रैल को की जाएगी।
ये भी पढ़ें- Army on Bathinda Incident: बठिंडा गोलीबारी की घटना में कौन था शामिल, सेना ने बताया
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.