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India News (इंडिया न्यूज़), Same-Sex Marriage: देश में कई दिनों से चर्चा का विषय रहने वाले समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंगलवार को आया। इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने इनकार कर दिया है। हालांकि, दुनिया के 34 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है। इनमें 10 देशों में कोर्ट के जरिए फैसला आया है। 23 देश तो ऐसे हैं, जहां कानूनी तौर पर सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली है।
बता दें कि CJI ने इस मामले पर कहा कि कहा कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र पर है। CJI ने ये भी कहा कि समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए। इस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल,जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा शामिल रहे। इससे पहले पीठ ने 10 दिनों तक संबंधित दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 11 मई 2023 को फैसला सुरक्षित रखा था।
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हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि इस बारे में कोई भी कानून बनाने का विषय सरकार का है। सरकार का कहना है कि ये ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी।
दरअसल, साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही सेम सेक्स रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला दिया था। हालांकि, अभी तक समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी दावा नहीं कर सकते हैं। दरअसल, IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था। वहीं, दुनिया को देखा जाए तो 33 ऐसे देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है। इनमें करीब 10 देशों की कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी है। इसके अलावा, 22 देश ऐसे हैं, जहां कानून बनाकर स्वीकृति मिली है।
दुनिया के जिन 34 देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी गई है, उनमें क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, इक्वेडोर, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और उरुग्वे का नाम शामिल है. इन देशों में दुनिया की 17 फीसदी आबादी रहती है. तीन देशों एंडोरा, क्यूबा और स्लोवेनिया ने पिछले साल ही वैध किया है।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मॉरिटानिया, ईरान, सोमालिया और उत्तरी नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में सेम सेक्स मैरिज को लेकर बेहद सख्ती है। वहां शरिया अदालतों में मौत की सजा तक का प्रावधान है। अफ्रीकी देश युगांडा में समलैंगिका का दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास और फांसी की सजा तक देने का प्रावधान है। 30 अन्य अफ्रीकी देशों में भी समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध है। वहीं, 71 देश ऐसे हैं, जहां जेल की सजा का प्रावधान है।
दरअसल, Pew Research का सर्वे के अनुसार दुनियाभर के 24 देशों में 53 फीसदी लोगों ने माना है कि सेम सेक्स मैरिज को स्वीकार करना चाहिए। वहीं, IPSOS नाम की संस्था का सर्वे कहता है कि पूरी दुनिया में 70 फीसदी लोग मानते हैं कि शादी की अनुमति मिल जानी चाहिए। सर्वे में शामिल 24 देशों की 53% फीसदी वयस्क आबादी समलैंगिंक शादियों को कानूनी मान्यता देने का समर्थन करती दिखी।
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