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इंडिया न्यूज, टोक्यो, (Shinzo Abe State Funeral): जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का मंगलवार को ढाई महीने बाद स्टेट फ्यूनरल यानी राजकीय सम्मान के साथ राजधानी टोक्यो स्थित बुडोकन हॉल में अंतिम संस्कार हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आबे की अंत्येष्टि में शामिल हुए। बता दें कि आबे की आठ जुलाई को 41 वर्षीय तेत्सुया यामागामी नाम के व्यक्ति ने उस समय गोली मारकार हत्या कर दी थी जब वह नारा शहर में काउंसलर चुनाव के लिए भाषण दे रहे थे।
आबे के परिवार ने बौद्ध परंपरा के अनुसार 15 जुलाई को उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। मंगलवार को जो संस्कार हुआ वह सांकेतिक है। इसमें आबे की अस्थियों को श्रद्धांजलि के लिए रखा गया। दुनियाभर के 217 देशों के प्रतिनिधि उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए टोक्यो पहुंचे थे। सभी ने आबे से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को साझा किया। पीएम मोदी आबे के अच्छे दोस्तों में से एक रहे हैं।
बताया जा रहा है कि जापान सरकार ने आबे के अंतिम संस्कार के लिए 166 करोड़ येन (97 करोड़) खर्च किए जिसको लेकर जापान में विरोध हो रहा है। यह भी बताया गया है कि यह खर्च क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार के खर्च से बहुत ज्यादा है और दुनिया का सबसे महंगा संस्कार है।
जापान में ज्यादातर लोग बौद्ध परंपरा के अनुसार मौत के बाद परिजन मृतक के होंठों पर पानी लगाते हैं, जिसे अंतिम समय का जल कहा जाता है। अगले दिन ‘वेक’ की परंपरा है, जिसमें जान-पहचान वाले लोग मृतक की बॉडी का आखिरी दर्शन करते हैं। बौद्ध परंपरा के अनुसार मंत्र भी पढ़े जाते हैं। इसके बाद हिंदू धर्म की तरह शवों को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। मतलब शव को जलाने से जुड़ी परंपरा है। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के एक चेंबर में ताबूत को धीरे-धीरे खिसका दिया जाता है। इस दौरान परिजन वहां मौजूद रहते हैं। ताबूत के पूरी तरह से चेंबर में जाने के बाद परिजन वापस घर चले जाते हैं। दो से तीन घंटे बाद परिजनों को फिर से बुलाया जाता है और उन्हें मृतक के अवशेष दिए जाते हैं। कलश में रखे अवशेष को लोग पारिवारिक कब्र में दफन करते हैं।
पीएम मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री किशिदा से भी मुलाकात कर आबे के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने इस दौरान भारत-जापान के बीच विशेष कूटनीतिक संबंध व वैश्विक साझीदारी के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने भारत-जापान पार्टनरशिप को मजबूत बनाने में दिवंगत जापानी पीएम के योगदान का भी जिक्र किया और हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए उनके कंसेप्ट की भी सराहना की।
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