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लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई में गिरावट आई है। सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार, नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 फीसदी पर आ गई। इससे पहले अक्टूबर में यह 6.77 फीसदी थी। आपको बता दें कि खुदरा महंगाई लंबे समय से 7 फीसदी के पार चल रही थी। खुदरा महंगाई में गिरावट से रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में बढ़ोतरी का दबाव कम होगा। इससे होम, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ने की रफ्तार धीमी। वहीं, आम आदमी पर घर खर्च का बोझ कम होगा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 11 महीनों में यह पहली बार है कि खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर की सीमा में आई है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2022 में 6.77 प्रतिशत और पिछले साल नवंबर में 4.91 प्रतिशत रही थी।
एक ओर महंगाई में राहत मिली हैं, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। देश के विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने और खनन तथा ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि कमजोर रहने की वजह से अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में चार प्रतिशत की गिरावट आई है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर, 2021 में 4.2 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन अक्टूबर, 2022 में 5.6 प्रतिशत नीचे आया। समीक्षाधीन अवधि में खनन उत्पादन में 2.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई और बिजली उत्पादन 1.2 प्रतिशत बढ़ा।
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने खाद्य पदार्थों की महंगाई दर घटकर 4.67 प्रतिशत पर आ गई जो इससे पिछले महीने में 7.01 प्रतिशत थी। यानी खाने-पीने के जरूरी सामान सस्ते हुए हैं। आपको बता दें कि खुदरा महंगाई दर जनवरी से केंद्रीय बैंक की छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई थी। अब यह 11 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। दिसंबर, 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.66 प्रतिशत रही थी। आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये पिछले सप्ताह प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था।
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