संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, supreme court rebuked bihar goverment in fake pharmacists Issue): सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पटना उच्च न्यायालय को बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर बिहार सरकार को फटकार लगाई।
जस्टिस एमआर शाह और एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने कहा कि पटना हाईकोर्ट को जनहित और नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखना चाहिए और चार सप्ताह के भीतर याचिका पर सुनवाई का विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा “किसी भी पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में अस्पताल/डिस्पेंसरी चलाने और/या फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा ऐसे अस्पताल चलाने और यहां तक कि नकली फार्मासिस्ट द्वारा और यहां तक कि बिना किसी फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर चलाने से अंततः नागरिक के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा।”
कोर्ट ने कहा “राज्य सरकार और बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल को नागरिक के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”
अपीलकर्ता ने पटना उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के दिसंबर 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान अपील दायर की, जिसमें उसकी जनहित याचिका खारिज कर दी गई थी। उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि बिहार के कई सरकारी अस्पतालों में गैर-पंजीकृत फार्मासिस्ट दवाइयां बेच रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को निम्नलिखित पहलुओं पर बिहार सरकार और बिहार राज्य फार्मेसी परिषद से विस्तृत रिपोर्ट मांगने का निर्देश दिया गया था:
1.कितने ही सरकारी अस्पताल/अस्पताल/मेडिकल स्टोर/निजी अस्पताल या तो फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा चलाए जा रहे हैं या बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के;
2.क्या राज्य सरकार द्वारा बिहार राज्य फार्मेसी परिषद द्वारा प्रस्तुत तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई की गई है, जिसे राज्य सरकार को अग्रेषित किया गया था-
3.क्या कोई फर्जी फार्मासिस्ट हैं जैसा कि रिट याचिका में आरोप लगाया गया है;
4. ऐसे फर्जी फार्मासिस्ट के खिलाफ राज्य सरकार या बिहार राज्य फार्मेसी परिषद द्वारा कोई कार्रवाई की जाती है;
5.पूरे बिहार राज्य में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन, 2015 का पालन हो रहा है या नहीं।
इस केस को मुकेश कुमार बनाम बिहार राज्य और अन्य के नाम से जाना गया.
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.