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भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाएगा टाटा

BY: Naresh Kumar • LAST UPDATED : October 27, 2022, 6:59 pm IST
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भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाएगा टाटा

Make in India

  • मेक इन इंडिया के तहत रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक और पहल
  • पीएम मोदी 30 अक्टूबर को करेंगे प्लांट का शिलान्यास

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली न्यूज। Make in India: टाटा एयरबस के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाएगा। कंपनी गुजरात के वडोदरा स्थित प्लांट में इन एयरक्राफ्ट का निर्माण करेगी। सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना के लिए सी-295 एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चर करने के लिए टाटा की यूरोपीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी ईएडीएस की वायुयान निर्माण सहायक कंपनी एयरबस के साथ एक डील हुई है जिसके तहत ये अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट वायुसेना के लिए तैयार किए जाएंगे।

बड़ी बात यह है कि अब तक ये एयरक्रॉफ्ट भारत में नहीं बनाए जाते थे, लेकिन पहली बार टाटा ने एयरबस के साथ डील की है। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर को वडोदरा में प्लांट का शिलान्यास करेंगे। बताया जा रहा है कि इस प्लांट में टाटा व एयरबस मिलकर वायुसेना के लिए 40 एयरक्राफ्ट बनाएंगे। इसके अलावा जो दूसरे जरूरी इक्विपमेंट हैं, उन्हें भी इसी प्लांट में बनाने की तैयारी है।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में 21 हजार करोड़ की एक डील की थी। उसी डील के अंतर्गत एयरबस डिफेंस से भारत 56 सी-295 एयरक्राफ्ट खरीदने वाली है। इसमें 16 एयरक्राफ्ट तो पूरी तरह तैयार होकर भारत को मिलने हैं, वहीं बचे हुए जो 40 एयरक्राफ्ट हैं, उनका निर्माण भारत में होना है। अब वही 40 एयरक्राफ्ट गुजरात के वडोदरा में तैयार किए जाएंगे। इससे मेक इंड इंडिया योजना को भी बल मिलने वाला है।

पीएम मोदी लगातार जिक्र कर रहे हैं कि भारत को डिफेंस के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनना है और मेक इन इंडिया पर जोर देना है। इसी कड़ी में अब पहली बार एक विदेशी कंपनी भारत में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण करने वाली है।

ड्रोन पर निगरानी के लिए एलओसी पर लगाए जैमर

नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर ड्रोन निगरानी से निपटने के लिए सेना ने क्वाडकॉप्टर जैमर और मल्टी-शॉट गन सहित दो सिस्टम लगाए हैं। सैन्य सूत्रों ने बताया, सेना ने एलओसी पर क्वाडकॉप्टर जैमर लगाए हैं, जिन्हें एक्वा जैमर कहा जाता है और वे मल्टी शॉट गन द्वारा सपोर्टेड हैं।

एक्वा जैमर की क्षमता 4,900 मीटर की ऊंचाई तक होती है। ये एक्वा जैमर दुश्मन के ड्रोन को फ्रीज करने से पहले उसके ऑपरेटर के साथ सीमा पार से उसकी कनेक्टिविटी को तोड़ देते हैं। बाद की कार्रवाई के बाद इसे नीचे लाने के लिए मल्टी वेपन प्लेटफॉर्म पर लगे मल्टी शॉट गन द्वारा दूसरे एक्शन लिए जाते हैं। कई जवान इन दो मशीनों को चलाते हैं।

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