नई दिल्ली (New Tax Slab): देश में नौकरी व्यवसाय करने वाले लोगों की इनकम टैक्स भरने की फिक्र रहती है। उनकी आमदनी का कुछ हिस्सा टैक्स में चला जाता है। बैंक बाजार डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी मौजूदा टैक्स स्लैब और महंगाई को लेकर परेशान रहता है। टैक्स और महंगाई के बीच फंसा है। 5 लाख से अधिक आय वाले टैक्स स्लैब आखिरी बार 2013-14 में बदले गए थे। इस बीच महंगाई सूचकांक बढ़कर 50.45% हो चुका है। 2013-14 में जो चीज 100 रुपए की थी, वह अब 150.45 रुपए की है।
रिपोर्ट में महंगाई सूचकांक और इनकम टैक्स की तुलना कर बताया गया है कि 5 लाख रुपए से अधिक कमाने वाले लोगों को अधिक टैक्स देना पड़ रहा है। नया टैक्स स्लैब दो साल बाद भी करदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा। 31 जुलाई, 2022 तक 5.83 करोड़ व्यक्तिगत करदाता आकलन वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल कर चुके हैं। नए स्लैब के प्रति आयकरदाताओं को आकर्षित करने के लिए सरकार बजट में कर दरों में बदलाव कर सकती है।
वर्तमान में टैक्स छूट की न्यूनतम सीमा 2.5 लाख रुपये है। 2014-15 के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस बार के बजट में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। 2014-15 में यह लिमिट दो लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और कोरोना महामारी के बाद सरकार बेसिक लिमिट को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर सकती है। इससे खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा साथ ही आम लोगों को भी इससे लाभ होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि होम लोन पर ब्याज दरों को कम करने की जरूरत है, इससे होम लोन को किफायती बनाया जा सकेगा। वैसे तो लोन की दरें आरबीआई की नीतिगत दरों पर निर्भर करती हैं, लेकिन बजट होम लोन लेने के नियमों में ढील देकर मकान खरीदारों को राहत दिया जा सकता है। मकान खरीदारों के लिए 80ईईए के तहत होम लोन पर छूट की मौजूदा सीमा 1.50 लाख रुपये को बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है।
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