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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का मामला अब मजहबी होता दिख रहा है। कुछ मुस्लिमों नेताओं के बयान से ऐसा लग रहा है। हल्द्वानी अतिक्रमण इन नेताओं का कहना है कि जिन लोगों को घर से बेघर किया जा रहा है, उनमें मुस्लिमों के तादाद ज्यादा हैं। जानकारी दें, किसी ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है तो किसी ने कहा कि यह देश नफरत ने नहीं चलेगा।
जानकारी दें, हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिंदुस्तान की बुनियाद सेक्युरलिज़्म पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में जिन लोगों को घर से निकाल रहे हैं, उनमें मुस्लिम की संख्या अधिक है। सरकार उन्हें बेघर करना चाहते हैं। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि क्या यह देश नफरत से चलेगा?
जानकारी दें, फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की बात को दोहराते हुए कहा कि हल्द्वानी में मुस्लिमों को घरों से बेघर किया जा रहा है। उनके घरों को तबाह किया जा रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है? क्या यह देश नफरत से चलेगा ? इस पर कोई बात नहीं कर रहा है। अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जब तक हम सभी यह नहीं सोचेंगे कि भारतीय किसी भी धर्म, भाषा या संस्कृति से हम सभी का है, तब तक देश विकसित नहीं होग। हम डर के साये में ही रहेंगे। इस डर को दूर करने के लिए हम सभी को काम करना होगा। फारुखअब्दुल्ला ने आगे कहा कि विपक्ष हो या सत्ता में बैठे लोग सभी को एक ही रस्सी पकड़नी है।
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इंसानियत की बुनियाद पर उत्तराखंड, हल्द्वानी के लोगों की मदद करनी चाहिए और उन्हें वहां से नहीं निकालना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हल्द्वानी के लोगों के सर से छत छिन लेना कौन सी इंसानियत है?
जानकारी दें, हल्द्वानी में करीब 4000 घरों को गिराने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है। इसके विरोध में यहां के हजारों लोग सड़कों पर उतरे आए हैं। मालूम हो, प्रशासन ने 9 जनवरी तक घर को खाली करने को कहा है। हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। जिसपर गुरुवार को इस पर सुनवाई होगी।
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