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India News (इंडिया न्यूज़), The kerala Story, तिरुवनंतपुरम: केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि द केरला स्टोरी जैसी फिल्मों के खिलाफ याचिकाएं ऐसी फिल्मों को अनावश्यक प्रचार देंगी। इसके बाद जस्टिस एन नागेश और मोहम्मद नियास सीपी की पीठ ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और फिल्म के निर्माण की प्रतिक्रिया मांगी। वकील अनूप वीआर की तरफ से याचिका दायर की गई थी।
न्यायमूर्ति नागेश ने पूछा , “क्या इस तरह की याचिका इन फिल्मों को अनावश्यक प्रचार नहीं देती है।” उन्होंने यह भी पूछा कि अदालत कला के कार्यों में कैसे हस्तक्षेप कर सकती है और उन पर प्रतिबंध लगा सकती है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कलेश्वरम राज ने कहा कि फिल्म के टीज़र में अभद्र भाषा थी और यह केरल राज्य का अपमान था।
पीठ ने पूछा, “क्या यह सिर्फ कला नहीं है? इसे अभद्र भाषा से कैसे जोड़ा जा सकता है।” वकील ने कहा कि अभी केवल ट्रेलर ही जनता के लिए उपलब्ध है लेकिन उसमें भी वे कह रहे हैं कि यह सच्ची कहानियों पर आधारित है। यह राज्य और उसके लोगों का अपमान है। अगर अदालत को लगता है कि यह अभद्र भाषा नहीं है तो और कुछ भी नहीं माना जाएगा।
फिल्म के निर्माता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस श्रीकुमार ने कहा कि टीजर पहले सोशल मीडिया पर प्रकाशित हुआ था और सेंसर बोर्ड ने एक प्रमाण पत्र भी दिया था। उन्होंने पद्मावत मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया।
डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने कहा कि इसी तरह का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता का यह आरोप कि केवल आंशिक मूल्यांकन पर ही प्रमाणपत्र जारी किया गया है, किसी तथ्य या सामग्री पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा , “यह केवल कुछ नागरिकों की राय हो सकती है।”
कोर्ट ने आखिरकार सेंसर बोर्ड की मंजूरी के संबंध में प्रतिवादियों से जवाब मांगा और मामले को आगे के विचार के लिए 5 मई को पोस्ट कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इसी तरह की याचिका की तत्काल लिस्टिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने या भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उल्लेख करने के लिए कहा था।
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