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इंडिया न्यूज, Maharashtra News। Uddhav Thackeray-Shinde controversy : जैसा कि आप जानते ही हैं कि महाराष्ट्र में 22 जून से सियासी जंग छिड़ी हुई है। 8 दिन बाद भी विवाद जारी है। महाराष्ट्र विधानसभा में कल यानि 30 जून को ही फ्लोर टेस्ट करवाया जाएगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद ही सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक पर लाइव करते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। इस दौरान उन्होंने शिंदे गुट के गिले-शिकवों पर कहा कि आपको अपनी बात ठीक तरह से रखनी चाहिए थी। जिनसे धोखे की आशंका थी वे साथ रहे। उन्होंने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को धन्यवाद कहा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार देर शाम यह फैसला सुनाया है। वहीं कोर्ट ने जेल में बंद महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख को भी वोटिंग करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने तर्क दिया है कि दोनों ही चुने गए विधायक हैं और उन्हें विधानसभा में वोटिंग के बाद फिर जेल ले जाया जाएगा।
बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने कल यानी 30 जून को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दिए थे। वहीं शिवसेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई जहां फ्लोर टेस्ट पर वकीलों ने 3 घंटे 10 मिनट तक अपनी-अपनी दलीलें रखी।
शिवसेना की तरफ से सीनियर अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। वहीं, शिंदे गुट की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने पैरवी की। अधिवक्ता मनिंदर सिंह कौल की दलीलों का समर्थन करने खड़े हुए। अंत में राज्यपाल की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं।
इससे पहले सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए दलील दी कि 16 बागी विधायकों को 21 जून को ही अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में इनके वोट से बहुमत का फैसला नहीं किया जा सकता। सिंघवी ने मांग की है कि या तो बहुमत का फैसला स्पीकर को करने दें या फिर फ्लोर टेस्ट टाल दें।
इसके अलावा अधिवक्ता मनिंदर सिंह कौल ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार ही नहीं, उद्धव की पार्टी भी अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में हार्स ट्रेडिंग रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट कराना ही सबसे बेहतर विकल्प है। इसे टाला नहीं जाना चाहिए। शिंदे के साथ गए विधायकों ने शिवसेना नहीं छोड़ी है। बहुमत उनके साथ है, इसलिए वही असली शिवसेना हैं।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जो चिट्ठी हमें मिली है, उसमें लिखा गया है कि विपक्ष के नेता ने राज्यपाल से 28 जून को मुलाकात की। आज सुबह ही हमें कल फ्लोर टेस्ट कराने की सूचना दी गई है। जबकि, हमारे दो विधायक कोविड पॉजिटिव हैं। एक विधायक विदेश में है।
फ्लोर टेस्ट के लिए सुपर सोनिक स्पीड दिखाई गई है। फ्लोर टेस्ट निर्धारित करता है कि कौन सी सरकार लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है। बहुमत का पता लगाने के लिए फ्लोर टेस्ट किया जाता है। स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए। उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी।
सवाल-क्या फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कोई न्यूनतम समय सीमा तय है। क्या नया फ्लोर टेस्ट कराने में कोई संवैधानिक बाधा है।
जबाव-अभिषेक मनु सिंघवी ने उत्तर दिया-हां, सामान्य तौर पर 6 महीने के अन्तराल से फ्लोर टेस्ट नहीं किया जाता। राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए मंत्रिमंडल से सलाह नहीं ली। जल्दबाजी में निर्णय लिया है। जब कोर्ट ने सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाली थी, तो इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था। 16 बागी विधायकों को 21 जून को ही अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में इनके वोट से बहुमत का फैसला नहीं किया जा सकता।
जस्टिस कांत ने कहा यदि स्पीकर ने यह फैसला लिया होता, तो स्थिति अलग होती। डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास का मसला पेंडिंग है, इसलिए अयोग्यता के मसले पर सुनवाई टाली गई थी।
सवाल-जस्टिस कांत ने कहा कि हमें राज्यपाल के फैसले पर संदेह क्यों करना चाहिए।
जबाव-सिंघवी ने कोर्ट में 34 बागी विधायकों को दिया गया गवर्नर का लेटर पढ़कर सुनाया।
सवाल-वहीं जस्टिस कांत ने पूछा कि क्या आपको इस बात का संदेह है कि आपकी पार्टी के 34 विधायकों ने यह लेटर साइन नहीं किया।
जबाव-अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा इस लेटर का कोई वैरिफिकेशन नहीं है। गवर्नर ने एक हफ्ते तक लेटर को अपने पास रखा। उन्होंने उसे तभी जारी किया, जब विपक्ष के नेता ने उनसे मुलाकात की। राज्यपाल बीमार थे। अस्पताल से बाहर आने के 2 दिन के भीतर विपक्ष के नेता से मिले और फ्लोर टेस्ट का फैसला ले लिया।
सवाल-जस्टिस कांत ने कहा मान लीजिए कि एक सरकार को पता है कि उन्होंने सदन का बहुमत खो दिया और स्पीकर को समर्थन वापस लेने वालों को अयोग्यता जारी करने के लिए कहा जाता है। फिर उस समय राज्यपाल को शक्ति परीक्षण बुलाने का इंतजार करना चाहिए या वह स्वतंत्र रूप से अनुच्छेद 174 के तहत निर्णय ले सकता है।
जबाव-अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि क्या राज्यपाल 11 जुलाई तक इंतजार नहीं कर सकते। 11 जुलाई को जब तक अदालत इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेती, तब तक कोई आसमान नहीं गिरेगा। अगर कल फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो क्या आसमान गिर जाएगा।
सवाल-जस्टिस कांत ने पूछा कि क्या लोग विपक्ष की सरकार बनवाना चाहते हैं।
जबाव-अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा जी, चिट्ठी में उन्होंने यही लिखा है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कुछ पुराने फैसलों को पढ़ना शुरू किया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल को अनुच्छेद 361 के तहत अदालती कार्रवाई से अलग रहने की छूट दी गई है, लेकिन यह कोर्ट को राज्यपाल के आदेश की समीक्षा करने से नहीं रोकता है। स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने से नहीं रोका जाना चाहिए। साथ ही इस बात का फैसला होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए।
नीरज किशन कौल ने कहा कि यहां मामला कोर्ट की तरफ से स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने का नहीं है। जब आपके अस्तित्व पर ही सवाल हों, तो आप इस मामले में कैसे फैसला कर सकते हैं। यह सब जानते हैं कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं की जानी चाहिए। केवल इस आधार पर प्रोसेस को नहीं रोका जाना चाहिए कि कितने एमएलए ने इस्तीफा दिया या 10वां अनुच्छेद क्या कहता है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि ये दोनों अलग-अलग मामले हैं।
सवाल-इस पर जस्टिस कांत ने पूछा कि दूसरे पक्ष का इस बारे में कुछ और ही कहना है। उनका कहना है कि विधायकों की सदस्यता के मामले को रोका नहीं गया है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने से रोका है।
जबाव-नीरज किशन कौल ने कहा कि जब हम कोर्ट पहुंचे, उस समय बहुमत हमारे साथ था। हमने स्पीकर को भी लिखा कि आपके पास सदन में बहुमत नहीं है। 24 जून को स्पीकर ने हमे ही अयोग्य घोषित करने का नोटिस जारी कर दिया।
सवाल-जस्टिस कांत ने कहा कि इन दलीलों से यही संकेत मिलता है कि सबसे पहले हमें स्पीकर की पात्रता तय करनी चाहिए।
जबाव-नीरज किशन कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि फ्लोर टेस्ट के मसले पर अयोग्यता के इश्यू से कोई फर्क नहीं पड़ता। लोकतंत्र में फ्लोर टेस्ट सबसे हेल्दी चीज है। सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि अगर कोई मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट से हिचकता है, तो पहली नजर में ऐसा लगता है कि उसने सदन का विश्वास खो दिया है।
सवाल-जस्टिस कांत ने कहा कि हमने अभिषेक मनु सिंघवी से एक काल्पनिक सवाल पूछा था। अब हम आपसे पूछना चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट में शामिल होने की पात्रता किस-किसको है।
जबाव-नीरज किशन कौल ने जबाव में कहा कि फ्लोर टेस्ट में जितनी देर की जाएगी, संविधान को उतना ही नुकसान होगा। अगर आप हार्स ट्रेडिंग रोकना चाहते हैं, तो इसका सबसे अच्छा तरीका फ्लोर टेस्ट ही है। फिर आप इससे भाग क्यों रहे हैं। जहां तक गवर्नर का सवाल है। तो वे अपने विवेक से फैसला लेते हैं।
फ्लोर टेस्ट कराना भी उन्हीं का फैसला है। इसमें शक नहीं कि कोर्ट राज्यपाल के आदेश की समीक्षा कर सकता है, लेकिन क्या इस मामले में राज्यपाल का फैसला सचमुच इतना गलत है कि उसमें दखल दिया जाए।
इस पर कौल ने राज्यपाल के कोरोना से ठीक होने के फौरन बाद फ्लोर टेस्ट का आदेश जारी करने पर उठे सवालों पर भी दलीलें पेश कीं। उन्होंने पूछा-कोरोना से ठीक होने के फौरन बाद फ्लोर टेस्ट का आदेश देने पर सवाल क्यों है। क्या कोई व्यक्ति बीमारी से ठीक होने के बाद अपना संवैधानिक कर्तव्य नहीं निभाएगा।
कौल के समर्थन में सीनियर अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने भी दलीलें पेश कीं। तीनों के बाद राज्यपाल के वकील के तौर पर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनका पक्ष रखा।
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