India News (इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina: आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में शुरू हुआ विद्रोह इतना बढ़ गया कि पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ कर भागना पड़ा। शेख हसीना को भारत में शरण लिए हुए तीन दिन हो गए हैं। वहीं शेख हसीना के देश छोड़ने को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। ये जानकारी 4 अफसरों को लेकर आई है।
बताया जा रहा है कि अगर ये 4 अफसर सही समय पर कार्रवाई नहीं करते तो शेख हसीना की भी उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह हत्या कर दी जाती। आइए जानते हैं उन 4 अफसरों के बारे में, जिनकी वजह से शेख हसीना सुरक्षित बांग्लादेश छोड़कर जा पाईं।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार प्रथम अलो के मुताबिक 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गणभवन (पीएम आवास) में तीनों सेनाओं के प्रमुखों, खुफिया प्रमुख, सुरक्षा सलाहकार और पुलिस आईजी के साथ बैठक की। बैठक शुरू होते ही शेख हसीना ने पुलिस चीफ पर लापरवाही का आरोप लगाया। अखबार के मुताबिक बैठक में मौजूद अफसरों ने कहा कि गोली चलाकर इस मुद्दे को नहीं सुलझाया जा सकता।
अब प्रदर्शनकारी आपकी जगह पर आएंगे और फिर दिक्कतें बढ़ सकती हैं। अधिकारियों ने शेख हसीना से कहा कि आप आराम से सुरक्षित जगहों पर चली जाएं। कुछ देर सोचने के बाद शेख हसीना ने अपना इस्तीफा लिख दिया। हालांकि, हसीना चाहती थीं कि पुलिस प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई करे और हालात काबू में आते ही फिर से कुर्सी संभाले, लेकिन सेना प्रमुख ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद हसीना सुरक्षित भारत आ गईं
अब शेख हसीना की जान बचाने में पूर्व इंस्पेक्टर जनरल अब्दुल्ला अल मामून ने बड़ी भूमिका निभाई। अब्दुल्ला ने हसीना से साफ कहा कि अब भीड़ यहां आएगी और पुलिस उन्हें नियंत्रित नहीं कर पाएगी। 1989 में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस के तौर पर नौकरी शुरू करने वाले मामून को हसीना का करीबी माना जाता था। मामून सितंबर 2022 में इस पद पर आए थे। अमेरिका में उनके खिलाफ केस भी चल रहा है. शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश सरकार ने मामून को पद से हटा दिया है। मामून बांग्लादेश रैपिड फोर्स के प्रमुख भी रह चुके हैं।
जब शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं, तब देश के खुफिया प्रमुख मेजर जनरल जियाउल हसन थे। जब शेख हसीना ने सुबह 11 बजे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की, तो उनके पास कई खुफिया रिपोर्ट थीं। कहा जाता है कि ये रिपोर्ट जियाउल हसन ने मुहैया कराई थीं।
जियाउल 2009 से बांग्लादेश खुफिया विभाग में काम कर रहे हैं। 2022 में उन्हें इस विभाग की कमान सौंपी गई। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद जियाउल को पद से हटा दिया गया। फिलहाल वे पुलिस हिरासत में हैं।
शेख हसीना को बांग्लादेश से सुरक्षित भारत भेजने में सेना प्रमुख वकार-उज जमान की बड़ी भूमिका है। कहा जाता है कि जिस दिन हसीना बांग्लादेश से भारत के लिए रवाना हुईं, उस दिन उन्होंने सुबह 11 बजे इस्तीफा दे दिया था, लेकिन सेना प्रमुख ने इसे दोपहर 3 बजे तक गुप्त रखा।
शेख हसीना के बेटे ने भी एक इंटरव्यू में सुबह 11 बजे उनके इस्तीफे के बारे में बताया है। ज़मान ने अपने इस्तीफ़े के बारे में लोगों को तब बताया जब वे सुरक्षित अगरतला पहुँच गई थीं।
शेख हसीना के सुरक्षा सलाहकार रहे तारिक अहमद सिद्दीकी ने भी उन्हें बांग्लादेश से सुरक्षित भारत भेजने में बड़ी भूमिका निभाई थी। तारिक भी हसीना के साथ उस विमान में थे जिसमें वे भारत आई थीं। तारिक ने ही हसीना के बांग्लादेश पहुँचने की सारी व्यवस्थाएँ की थीं।
तारिक शेख हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना के पति के भाई भी हैं। तारिक ने वर्ष 2009 में प्रधानमंत्री कार्यालय जॉइन किया था। तारिक सेना में मेजर भी रह चुके हैं।
शेख रेहाना किसी सरकारी पद पर नहीं हैं, लेकिन वे हमेशा शेख हसीना के साथ ही रहती हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुईं, तो अधिकारियों ने रेहाना की मदद ली। अधिकारियों ने समझाया कि अब और फ़ायरिंग नहीं की जा सकती। ऐसे में प्रदर्शनकारी आसानी से पीएम हाउस में घुस सकते हैं और फिर शेख हसीना की बंगबंधु की तरह हत्या की जा सकती है। इसके बाद दोनों बहनें आसानी से हेलीकॉप्टर से त्रिपुरा के लिए रवाना हो गईं। त्रिपुरा से भारत सरकार ने दोनों बहनों को दिल्ली बुला लिया।
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