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Ambedkar Jayanti Celebration: 14 अप्रैल को क्यों मनाई जाती है अंबेडकर जयंती, जानें वजह और महत्व

BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : April 14, 2023, 11:06 am IST
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Ambedkar Jayanti Celebration: 14 अप्रैल को क्यों मनाई जाती है अंबेडकर जयंती, जानें वजह और महत्व

Ambedkar Jayanti Celebration

Ambedkar Jayanti Celebration: भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में विख्यात डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर भारत के एक राजनेता, अर्थशास्त्री और न्यायविद थे। 14 अप्रैल 1891 को जन्मे, अंबेडकर ने उस समिति का नेतृत्व किया जिसने संविधान सभा के विचार-विमर्श के दौरान भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया था। महिलाओं और श्रम अधिकारों के प्रबल समर्थक, अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी थे। हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रुप में मनाया जाता है।

  • 1928 में पहली बार जयंती मनाई गई
  • कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की
  • जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी

अम्बेडकर एक गरीब दलित महार परिवार में पैदा हुए थे और उन्होंने अपना जीवन दलितों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित कर दिया था, जिन्हें उस समय समाज द्वारा अछूत माना जाता था। अंबेडकर को लेकर समाज में कई धारनाएं हो लेकिन सबसे बढ़कर वे एक समाज सुधारक थे। इस प्रकार, उनका जन्मदिन सभी भारतीयों को देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई

अपना कड़ी मेहनत के दम पर अम्बेडकर ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया और 1917 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारत में जाति के उत्पीड़न के बारे में बात करते हुए ‘जाति का विनाश’ नाम पुस्तक भी लिखी । उन्होंने अक्सर शिक्षा पर एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में जोर दिया जो भेदभावपूर्ण सामाजिक प्रथाओं के सदियों पुराने प्रतिबंधात्मक बंधनों को तोड़ने में मदद कर सकता है।

1928 में पहली बार मनाई गई

भीम जयंती पहली बार 1928 में जनार्दन सदाशिव रणपिसाई द्वारा मनाई गई थी और इसे 25 से अधिक भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। अंबेडकर ने भारत की जाति-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी, इसीलिए उनके जन्मदिन को पूरे देश में समानता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

कई आयोजन होते है

अंबेडकर जयंती पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत देश के तमाम बड़े नेता संसद में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं। विभिन्न संस्थानों में, बीआर अम्बेडकर के जीवन पर आधारित जुलूस और प्रतियोगिताएं, नाटक और नाट्य रूपांतरण आयोजित किए जाते हैं। दलितों और अछूतों के जीवन के उत्थान में बाबासाहेब के योगदान को भीम जयंती पर याद किया जाता है।

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