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भारत के तवांग पर ‘गन्दी निगाहें’ क्यों रखता है विस्तारवादी ड्रैगन? जानिए कैसे शुरू हुआ Tawang-China विवाद

PUBLISHED BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 13, 2022, 5:31 pm IST
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भारत के तवांग पर ‘गन्दी निगाहें’ क्यों रखता है विस्तारवादी ड्रैगन? जानिए कैसे शुरू हुआ Tawang-China विवाद

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारत और चीन एक बार फिर से सीमा पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए है। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सेना और चीन की सेना के जवानों के बीच झड़प हुई है। इसमें दोनों ही सेनाओं के कुछ जवानों को चोटें आई हैं। भारत का तवांग सेक्टर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास में स्थित है। India और China की सेनाएं पहले भी टकरा चुकी हैं। अभी पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प की यादें ताजा ही हैं कि चीन ने एक बार फिर सीमा पर नापाक इरादे दिखा दिए हैं। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने चीनियों को माकूल जवाब भी दिया है।

यहां गौर करने वाली बात ये है कि India-China Border विवाद काफी पुराना है। चीन भारत के कई सारे इलाकों पर अपना दावा करता है। हालांकि, उसके दावे सिर्फ दावे ही हैं, क्योंकि भारत के सपूत अपनी सीमाओं की अलर्ट मोड में निगरानी में जुटे हुए हैं। चीन ने McMahon Line के पास इस बार तवांग सेक्टर में अपने नाकाम मंसूबों को दिखाया है। चीन काफी लंबे वक्त से तवांग पर अपना दावा जताता आया है। ऐसे में आपको तवांग से जुड़े कुछ फैक्ट्स बताते हैं, जो काफी दिलचस्प है और क्यों चीन इससे लेकर विवाद पैदा करता रहता है।

ऐसे शुरू हुआ Tawang-China विवाद

  • 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन लाइन को निर्धारित किया गया। ये ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच एक नई सीमा थी।
  • इस संधि के तहत तिब्बत ने तवांग समेत कुछ इलाकों को ब्रिटिश भारत को सौंप दिया। हालांकि, चीन ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया।
  • 1950 में तिब्बत ने अपनी आजादी खो दी और उसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में शामिल किया गया। इस तरह चीन ने उस पर कब्जा कर दिया।
  • 1959 में वर्तमान दलाई लामा तिब्बत से भागकर तवांग के रास्ते भारत आए थे।
  • 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय तवांग पर कुछ वक्त के लिए चीन ने कब्जा कर लिया था, लेकिन युद्ध खत्म होने के बाद चीन ने अपनी इच्छा से अपने सैनिकों को पीछे कर लिया।
  • भारत-चीन युद्ध खत्म होने के बाद एक बार फिर से तवांग पर भारत का नियंत्रण हो गया। लेकिन चीन अरुणाचल प्रदेश के अधिकतर हिस्सों समेत तवांग पर अपना दावा करता रहा।
  • चीन का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग तिब्बत का हिस्सा है. वही तिब्बत जिस पर चीन ने कब्जा कर रखा है।
  • चीन ने तवांग को फाइव फिंगर्स ऑफ तिब्बत पॉलिसी में शामिल किया है।
  • फाइव फिंगर्स ऑफ तिब्बत पॉलिसी चीन की विदेश नीति का हिस्सा है, जिसके तहत तिब्बत को चीन का दाहिना हाथ, जबकि लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान और नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (अब इसे अरुणाचल प्रदेश के तौर पर जाना जाता है) को पांच उंगलियां माना जाता है।
  • 2017 में डोकलाम में घुसपैठ भी चीन की फाइव फिंगर्स पॉलिसी के तहत हुई थी।
  • दिसंबर 2022 में झड़प से पहले तवांग के पास ही सुमदोरोंग घाटी में 1986-87 में चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी।
  • भारत और चीन की सेनाओं के बीच 36 साल बाद एक बार फिर तवांग में झड़प हुई है।

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