Top News

Widowed daughter-in-law: विधवा महिला सास-ससुर के भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

Widowed daughter-in-law: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने हाल ही में कहा था कि सास-ससुर, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत एक विधवा बहू से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकते हैं। एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति किशोर संत ने एक न्यायाधिकारी ग्राम न्यायालय के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसने धारा 125 के तहत शोभा तिड़के को उसके बूढ़े सास-ससुर को भरण-पोषण करने का आदेश दिया था।

  • कानून में सास-ससुर का जिक्र नहीं
  • चार विवाहित बेटियां भी
  • मृत्यु के बाद सास-ससुर को पैसे भी मिले

उच्च न्यायालय ने कहा कि धारा 125 के प्रावधान केवल वैध, नाजायज बच्चों, बड़े या शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों और बूढ़े माता-पिता (पिता और माता) को भरण-पोषण का दावा करने की अनुमति देते हैं और यह भरण-पोषण के लिए योग्य “रिश्तेदार” के रूप में सास-ससुर का उल्लेख नहीं करता है।

ससुर और सास का उल्लेख नहीं

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि धारा 125 को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि उक्त धारा में ससुर और सास का उल्लेख नहीं है। न्यायालय ने कहा कि एक अलग मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष एक समान प्रश्न आया था, जिसमें न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सास-ससुर अपनी विधवा बहू से भरण-पोषण का दावा करने के हकदार नहीं होंगे।

पति का निधन हो गया

मामले के तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ता शोभा के पति महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) में एक कंडक्टर के रूप में काम कर रहे थे, जब उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता को बाद में राज्य के स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिल गई। उसके वृद्ध सास-ससुर ने इस आधार पर भरण-पोषण की माँग की कि वे वृद्ध हैं और अपनी देखभाल करने में असमर्थ हैं।

चार विवाहित बेटियां

याचिकाकर्ता ने इस आधार पर इसका विरोध किया कि सास-ससुर की चार विवाहित बेटियां हैं, जो सभी अच्छी तरह से सेटल हैं। उसने बताया कि उसके ससुराल वालों के पास कम से कम 2.30 एकड़ जमीन है और उसके पति की मृत्यु के बाद सास को ₹1.88 लाख की राशि मिली थी। इस राशि के अलावा कुछ पैसे याचिकाकर्ता के नाबालिग बेटे को दिए गए।

आदेश को रद्द किया

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सभी चार बेटियों का उसके ससुराल की संपत्ति में हिस्सा है और इसलिए उनकी बेटियां अपने माता-पिता को भरण-पोषण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। दलीलों को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने न्यायाधिकारी ग्राम न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जेएम मुरकुटे पेश हुए। ससुराल पक्ष का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सुभाष एस चिलार्ज ने किया। केस को शोभा संजय तिड़के बनाम किशनराव रामराव तिड़के के नाम से जाना गया।

यह भी पढ़े-

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

Recent Posts

Delhi Crime News: दिल्ली- NCR में ‘बैंड बाजा बारात’ गैंग का खुलासा, हाई प्रोफाइल शादियों को बनाते थे निशाना

India News (इंडिया न्यूज),Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक शातिर गिरोह…

13 minutes ago

अस्पताल के शौचालय में पैदा हुआ बच्चा, दर्द से तड़पती रही मां, हैवान बनकर आया कुत्ता और मुंह में दबाकर…

Stray Dog in West Bengal: पश्चिम बंगाल के बांकुरा के सोनामुखी ग्रामीण अस्पताल में एक…

15 minutes ago

Sambhal Jama Masjid Case: जुमे की नमाज से पहले हाई सिक्योरिटी तैनात! सर्वे के आदेश पर पुलिस-PAC तैयार

India News (इंडिया न्यूज), Sambhal Jama Masjid Case: यूपी के संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद…

20 minutes ago

कुर्सी पर बैठने से पहले ट्रंप की बड़ी बदनामी, बच्चों के साथ गंदा काम करने की आरोपी बनी वजह, मामला जानकर सदमे में अमेरिका वासी

Trump Education Secretary: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शिक्षा सचिव के लिए नामित…

29 minutes ago

UK Weather News: उत्तराखंड में ठंड बढ़ने से लोग परेशान, दो जिलों में घने कोहरे का अलर्ट

India News (इंडिया न्यूज),UK Weather News: उत्तराखंड के सभी जिलों में इन दिनों मौसम शुष्क बना…

48 minutes ago

पटना में JDU कार्यालय पर ग्राम रक्षा दल का घेराव! जमकर किया हंगामा, जानें मामला

India News (इंडिया न्यूज), JDU Office: पटना में जदयू प्रदेश कार्यालय का घेराव करने के…

55 minutes ago