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India News (इंडिया न्यूज़), World Sparrow Day 2024: ये धरती हमेशा ही पर्यावरण के संतुलन से चलता है। इसमें अगर थोड़ा भी छेड़छाड़ की जाएं तो धरती का भूगोलीय स्थिति खराब होने लगता है। धरती के पर्यावरण की संतुलन बनाए रखने का काम मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का भी होता है। परंतु समय के साथ लोभी मनुष्यों ने इसको बिगाड़ना शुरू कर दिया है। दुनिया भर के मनुष्यों के द्वारा पशु-पक्षियों का शिकार किया जा रहा है। जिसकी वजह से पर्यावरण का संतुलन ख़राब हो रहा है। वहीं पर्यावरण को शुद्ध करने में गौरैया बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दिखने में ये छोटी पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता में सुधार और पौधों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करती है। परंतु, समय के साथ गौरैया अब धरती से विलुप्त हो रही है। जिसके लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बता दें कि, गौरैया बीजों को खाती और उत्सर्जित करती है, जिससे पौधों के बीजों का बेहतर प्रसार होता है। साथ ही हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध और समृद्ध होता है। हालांकि बीतते समय के साथ गौरैया की जनसंख्या में काफी गिरावट आई है। जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि युवा पीढ़ी गौरिया के महत्व को समझे और उसको विलुप्त होने से बचाएं। दरअसल, हमारे वातावरण और जैव विविधता के लिए गौरैया के अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के इरादे से हर साल विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।
बता दें कि पहली बार साल 2010 में विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च को मनाया गया था। हिंदुस्तान में द नेचर फॉरएवर सोसाइटी ने घरेलू गौरैया और अन्य सामान्य पक्षियों को बचाने के महत्व पर जोर देते हुए विश्व गौरैया दिवस मनाने की पहल शुरू की थी। दरअसल, भारतीय संरक्षणवादी मोहम्मद दिलावर के द्वारा नेचर फॉरएवर सोसाइटी की स्थापना की गई थी। उन्होंने घरेलू गौरैया की मदद करके और नासिक में उनकी आबादी को बचाने की पहल करके प्रकृति के साथ अपना काम शुरू किया। बता दें कि समय के साथ गौरैया की आबादी में गिरावट देखने मिली है। जिसका सीधा असर हमारे स्थानीय पर्यावरण पर पड़ा है। विश्व गौरिया दिवस को मनाने का मकसद विलुप्त होती पक्षियों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
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