India News (इंडिया न्यूज), Year Ender 2023: साल 2023 भारत के लिए काभी महत्वपूर्ण रहा है। इस साल में देश के कानून व्यवस्था में काफी बदलाव हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस देश के कई विवादास्पद मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिये। साल की शुरुआत शीर्ष अदालत द्वारा 2016 की नोटबंदी की संवैधानिकता को बरकरार रखने के साथ हुई। वहीं साल का अंत अनुच्छेद 370 के तहत पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के फैसले को बरकरार रखने के साथ हुआ है।
इस साल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसले
नोटबंदी की वैधता पर फैसला
इस साल के जनवरी माह में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के नोटबंदी के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हुए फैसला दिया। जिसमें कहा गया कि अधिसूचना “वैध” थी। शीर्ष अदालत ने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के मोदी सरकार के 2016 के कदम को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया। यह फैसला पांच जजों की बेंच ने 4-1 के फैसले में सुनाया।
जल्लीकट्टू को मंजूरी का फैसला
साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांडों को वश में करने वाले खेल ‘जल्लीकट्टू’ को अनुमति देने वाले तमिलनाडु के कानून को बरकरार रखने का फैसला दिया। पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि “यदि विधायिका ने ‘जल्लीकट्टू’ को तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न पहलू के रूप में मान्यता दी है, तो न्यायपालिका अलग दृष्टिकोण नहीं अपना सकती है।”
राहुल गांधी और ‘मोदी उपनाम’ पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की सबसे हॉट टॉपीक में से एक राहुल गांधी और ‘मोदी उपनाम’ पर फैसला सुनाया। जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को ‘मोदी सरनेम’ आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी।
गुजरात में निचली अदालतों और उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को निलंबित करने की राहुल गांधी की अपील को खारिज कर दिया था। जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। बता दें इस मामले में निचली अदालतों ने राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें संसद सदस्य के रूप में लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
समलैंगिक विवाह का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अक्टूबर महीने में समलैंगिक विवाह (same sex marriage) को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए कहा कि “अदालतें कानून नहीं बना सकती बल्कि केवल उसकी व्याख्या कर सकती हैं। विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।” शादी करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर फैसला
अबतक लिए गए ऐतिहासिक फैसलों में एक अनुच्छेद 370 पर लिया गया फैसला है। जिसमें 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्रदान किए गए जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के 2019 के राष्ट्रपति के आदेश को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने माना कि जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा एक “अस्थायी प्रावधान” था। इसे रद्द करना संवैधानिक शक्ति का एक वैध अभ्यास है। जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने और जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया।
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