इंडिया न्यूज़: (Income tax survey at BBC office) कई दिनों से चल रहे बीबीसी विवाद की चर्चा पूरे देश में हो रही है। टीवी, सोशल मीडिया पर तरह तरह-तरह के विवाद देखने को मिल रहे हैं। ट्विटर पर भी #BBCdocumentary काफी ट्रेंड कर रहा है। इसी के साथ देश की कई बड़ी यूनिवर्सिटी में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर प्रदर्शन और पत्थरबाजी देखने को मिली है। हालांकि, ये पहली बार नहीं हैं जब BBC विवादों में फंसा हो। इससे पहले भी ऐसे कई विवाद हैं जिसमें बीबीसी का नाम सामने आया है, चलिए जानते हैं आखिर ऐसे कौन से विवाद है जिसमें बीबीसी को विरोध का सामना करना पड़ा और ऐसे क्या कारण हैं कि बीबीसी बार-बार विवादों में घिर जाता है।
हाल ही में बीबीसी के दिल्ली और मुंबई में मौजूद ऑफिस में आयकर विभाग ने सर्वे किया है। सर्वे के दौरान कई कर्मचारियों को घर जाने के लिए कहा गया तो अकाउंट्स डिपार्टमेंट के सभी कर्मचारियों के फोन ले लिए गए। हालांकि, सर्वे को लेकर अभी तक इनकम टैक्स ऑफिशियल की ओर से किसी भी तरह का बयान या प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई है। समझने वाली बात ये है कि सर्वे ऐसे समय पर हुआ है जब पहले ही बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर अच्छा खासा विवाद देखने को मिल रहा था। वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी डॉक्यूमेंट्री बैन होने को लेकर एक वकील ने याचिका दर्ज कर इसे मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है।
‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ के नाम पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री लॉन्च होते ही विवादों में आ गई। डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार की ओर से प्रॉपगैंडा का हिस्सा बताया गया था। वहीं देश के कई बड़े विश्वविद्यालयों में विवाद देखा गया। कहीं तो स्क्रीनिंग के दौरान बत्ती गुल की बात भी सामने आई। डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगों को कवर किया गया था और कहीं न कहीं पीएम मोदी का नाम भी सामने आया क्योंकि वो इस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बात इस मामले ने देश और विदेश में विवाद खड़ा कर दिया है।
बीबीसी पर चल रही कार्रवाई को लेकर भले ही कुछ लोग बीजेपी सरकार पर सवाल उठा रहे हों लेकिन आपको बता दें कि कांग्रेस में काल में भी बीबीसी के बैन होने को लेकर एक किस्सा जुड़ा है। बात है साल 1970 की जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार थी। दरअसल फ्रांसीसी डयरेक्टर लुइस मैले की डॉक्यूमेंट्री सीरीज बीबीसी पर दिखाई गई थी। उस समय बीबीसी ने अपने सीरीज़ में भारत की नकरात्मक तस्वीर सामने रखी थी, जिसे लेकर ब्रिटेन में रह रहे भारतीयों ने इसकी काफी अलोचना की थी। इसके बाद बीबीसी के दिल्ली में मौजूद ऑफिस को 2 साल के लिए बंद कर दिया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ही दौर था जब साल 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। उस समय पूरे ही देश में विवाद और विरोध प्रदर्शन देखे गए। वहीं इस पूरे मामले को लेकर बीबीसी की ओर से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई जिसके बाद इंदिरा सरकार ने बीबीसी पर भारत विरोधी खबर चलाने का आरोप लगाया था। सरकार की ओर से बयान आया था कि बीबीसी भारत की छवि खराब करने को लेकर एक भी मौका नहीं छोड़ता।
साल 1995 में प्रिंसेज डायना और शाही परिवार के बीच कुछ अनबन की खबरें सामने आ रही थीं। इस दौरान बीबीसी के जर्नलिस्ट मार्टिन बशीर ने प्रिंसेज डायना का एक इंटरव्यू लिया। इंटरव्यू तो हो गया लेकिन इसके बाद जो खबर सामने आई, वो चौंकाने वाली रही। दरअसल जर्नलिस्ट बशीर पर आरोप लगे कि उन्होंने इंटरव्यू के लिए डायना के भाई अर्ल स्पेंसर को कुछ लालच दिया था। हालांकि, साल 1997 में प्रिंसेज डायना का एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। इसके बाद अब जाकर दो साल पहले बीबीसी के पूर्व जर्नलिस्ट बशीर ने उस समय हुए इंटरव्यू को लेकर छिड़े विवाद पर माफी मांगी है। वहीं बीबीसी की ओर से भी इस पूरी घटना पर अफसोस जताया गया है। इसके साथ ही एक इंटरव्यू में बशीर ने अपने एक बयान में ये भी कहा “वो प्रिंसेस डायना को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे और शायद ही उन्हें इससे कुछ नुकसान पहुंचा होगा। फिर भी मैं प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी से माफी मांगता हूं।”
देश में निर्भया गैंगरेप को लेकर विवाद तो सभी को याद है। लोगों में गुस्सा या कहें क्रोध इतना था कि दोषियों को सजा दिलाने के लिए लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं इस बीच बीबीसी ने इस पूरे विवाद पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जिसे विरोध का सामना करना पड़ा। सरकार की ओर से इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया गया और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही बताया था।
इसके बाद भारत के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों को लेकर फिर बीबीसी पर पांच साल के लिए रोक लगाई गई। आरोप था कि बीबीसी अपनी रिपोर्टिंग से भारत की छवि को क्षति पहुंचा रहा है।
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